दरअसल 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग के कारण से बिहार की नंबर वन पार्टी रही जेडीयू तीन नंबर की पार्टी बन गई थी.
इसी नाराजगी का परिणाम रहा कि विधानसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद ही चिराग पासवान की पार्टी टूट गई.
कहा जाता है कि जेडीयू ने चिराग के चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में एलजेपी को तोड़ दिया. छह में से पांच सांसद पशुपति पारस के साथ चले गए थे. इसके बाद पशुपति पारस नीतीश के कोटे से केंद्र में मंत्री भी बने. अब नीतीश की एनडीए में वापसी के बाद पारस को तो दिक्कत नहीं है, लेकिन चिराग का खेमा परेशान है.
यही कारण है कि कि शनिवार को पीएम मोदी की औरंगाबाद और बेगूसराय की रैली में चिराग पासवान नहीं सम्मिलित हुए. राजनीतिक गलियारों में जिक्र ये है कि चिराग ने प्रधानमंत्री के प्रोग्राम का बहिष्कार किया है. हालांकि, पार्टी के नेता बचाव में ये बोलते रहे कि वह दूसरे प्रोग्राम में व्यस्त थे.वहीं विनीत सिंह प्रवक्ता एलजेपी (आर) ने बोला कि पूर्व निर्धारित प्रोग्राम के कारण से चिराग पासवान पीएम की सभा में नहीं पहुंचे सके, लेकिन औरंगाबाद और बेगूसराय में हमारी जिला इकाई की टीम अपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ पीएम को सुनने पहुंची थी.
प्रधानमंत्री मोदी बिहार में एनडीए की दोबारा सरकार बनने के बाद पहली बार बिहार आए थे. बावजूद इसके खुद को मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान जैसे नेता मोदी की रैली से दूरी बनाई. बता दें बिहार में करीब 6 फीसदी पासवान जाति के वोटर हैं. इस वोट बैंक पर रामविलास पासवान की मजबूत पकड़ थी. वहीं अब चाचा पारस और भतीजे चिराग दोनों का इस वोट बैंक पर दावा है.जानकार मानते हैं कि चाचा की तुलना में भतीजे चिराग पासवान की अच्छी पकड़ है और सभाओं में उमड़ती भीड़ इस बात की गवाही भी देती हैं. वहीं नीतीश और चिराग के रिश्तों को लेकर बोला जा रहा है कि सीएम नीतीश 2020 में मिले चिराग के धोखे को भूले नहीं हैं. वहीं नीतीश के साथ आने के बाद बीजेपी नेतृत्व बहुत ज्यादा सहज स्थिति महसूस कर रहा है. ऐसे में चिराग पासवान के लिए बहुत मुश्किल समय है.वहीं आगामी चुनाव के लिए बीजेपी अपनी सीटिंग 17 सीटों पर रणनीति बनाने में जुटी है. जेडीयू भी 16 सीटों पर तैयारी कर रही है. मामला बाकी बची 7 सीटों को लेकर है. चिराग पुरानी 6 सीटों पर दावा कर रहे हैं, तो पशुपति पारस भी दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं.
दरअसल चाचा पारस और भतीजे चिराग में लड़ाई हाजीपुर सीट को लेकर भी है. पशुपति पारस वहां से सांसद हैं, जबकि चिराग हाजीपुर सीट पर दावा कर रहे हैं. ऐसे में सीट बंटवारे का समीकरण क्या रहेगा ये आने वाले वक्त में ही पता चलेगा.