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क्या उपेंद्र कुशवाहा बदलेंगे पाला? PM मोदी के प्रोग्राम के बाद राजनीतिक कयास तेज


संवाद 


आरएलएम (RLM) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) के मन में क्या चल रहा है? यह बिहार की राजनीति में बड़ा प्रश्न बना हुआ है? बीते 2 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बिहार के औरंगाबाद और बेगूसराय आए थे. पीएम मोदी के प्रोग्राम में सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar), पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi), केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Pashupati Paras) सम्मिलित हुए, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान प्रोग्राम में नहीं गए, तब से इसको लेकर कई तरह के कयास लग रहे हैं. पीएम मोदी के प्रोग्राम में न जोना के बाद से उपेंद्र कुशवाहा को लेकर जिक्र है कि वह एक बार फिर से पाला बदल सकते हैं. फिलहाल कुशवाहा के पाला बदलने का इतिहास रहा है. वर्ष 2000 में उपेंद्र कुशवाहा नीतीश के साथ समता पार्टी में थे. नीतीश ने उनको बिहार में विपक्ष का नेता बनवाया था. इसके बाद कुछ वर्ष वह समता पार्टी में रहे, लेकिन नीतीश से अनबन हो गयी, तब वह समता पार्टी से अलग हो गए और एनसीपी में चले गए थे.इसके बाद कुशवाहा ने फिर एनसीपी से जदयू में आए और नीतीश कुमार ने उन्हें 2010 में राज्यसभा भेजा, लेकिन दोबारा फिर नीतीश से उनकी अनबन हो गई. इसके बाद उन्होंने 2013 में वह राज्यसभा से त्यागपत्र दे दिया. 2013 में वह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी नाम से राजनीतिक दल बनाए और बीजेपी से गठबंधन किया. 2014 लोकसभा चुनाव में NDA में उनकी पार्टी तीन सीटों पर चुनाव लड़ी और जीती.
वहीं कुशवाहा खुद काराकाट से जीते थे और केंद्र सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री भी बने थे, लेकिन इस बीच 2017 में नीतीश भी महागठबंधन से NDA में आ गए. इसलिए2018 में उपेंद्र कुशवाहा ने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और वह महागठबंधन में आ गये. कहा जाता है कि नीतीश कुमार से उनको दिक्कत थी और लोकसभा के लिए उन्हें सिर्फ एक सीट दिया जा रहा था. वहीं 2019 का लोकसभा चुनाव वह महागठबंधन में रहकर लड़े थे. 

इस बार उनकी पार्टी RLSP पांच सीटों पर चुनाव लड़ी थी, 

जिसमें से कुशवाहा खुद दो सीटों पर चुनाव लड़े थे, लेकिन वह दोनों सीटों पर हार गए थे. साथ ही उनकी पार्टी पांचों सीट हार गयी थी. इसके बाद 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में कुशवाहा तीसरा मोर्चा बनाकर बसपा, AIMIM से गठबंधन किए और उनकी पार्टी गठबंधन में चुनाव लड़ी, लेकिन उनकी पार्टी RLSP का खाता भी नहीं खुला था. इसके बाद फिर उन्होंने अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर दिया था. नीतीश से संबंध अच्छे हो गये थे. 2020 चुनाव में जदयू सिर्फ 43 सीट जीती थी. नीतीश अपने लव कुश (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण को मजबूत करना चाहते थे. कुशवाहा भी नया आशियाना तलाश रहे थे. इसलिए नीतीश ने कुशवाहा को साथ ले लिया. नीतीश ने कुशवाहा को जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष और MLC भी बनाया, लेकिन 16-17 महीने कुशवाहा जदयू में रहे और नीतीश से उनके संबंध फिर से खराब हो गये थे.नीतीश ने उनको बिहार सरकार में मंत्री नहीं बनाया था. इसलिए कुशवाहा जदयू से अलग हो गये और MLC पद से त्यागपत्र दे दिया. इसके बाद उपेंद्र ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा नाम से पार्टी बनायी और BJP से गठबंधन किया था, लेकिन इस वर्ष फिर नीतीश NDA में वापस आ गए हैं. अब प्रश्न उठ रहा है कि क्या कुशवाहा इसलिए एनडीए में असहज हैं और उनको लग रहा है कि कम सीटें मिलेंगी? इसलिए क्या पीएम के प्रोग्राम से दूरी बनाई या ज्यादा सीटों के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं?
वहीं उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रवक्ता नितिन भारती ने एबीपी न्यूज से बोला कि बिहार NDA में सब कुछ ठीक है. कुशवाहा बिलकुल नाराज नहीं हैं. हम लोग मजबूती से NDA में बने रहेंगे. कुशवाहा किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं इसलिए वह PM मोदी के बेगूसराय वाले प्रोग्राम में नहीं गए थे. NDA में रखकर हम लोग लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. कितने सीटों पर लड़ेगे यह मीडिया को नहीं बता सकते हैं. कितनी सीटों पर लड़ना है यह हम लोग BJP आलाकमान को बता चुके हैं. नीतीश के NDA में आने से उपेंद्र कुशवाहा असहज नहीं हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने काफी महीने पहले बोला था कि अगर नीतीश NDA में आएंगे तो हम उनका स्वागत करेंगे. वहीं वरिष्ठ पत्रकार संतोष यादव का बोलना है कि 2017 में जो स्थिति थी, वह स्थिति अब फिर हो गई है. 2017 में नीतीश जब NDA में वापस आए थे तो 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कुशवाहा को बहुत कम सीटें मिल रही थी. इसलिए कुशवाहा ने NDA छोड़ दिया था.
वहीं अब नीतीश फिर से NDA में वापस आ गए हैं, तो कुशवाहा को एक सीट से ज्यादा नहीं मिलेगा, क्योंकि बिहार में 40 सीट है और बिहार एनडीए में 6 दल हैं, जबकि कुशवाहा तीन सीटें अपनी पार्टी के लिए चाहते हैं. इसलिए हो सकता है कि कुशवाहा फिर महागठबंधन में चले जाएं. वैसे कुशवाहा अगर NDA में एक सीट पर लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं तो वो NDA में रह सकते हैं. यह भी हो सकता है कि नीतीश कुशवाहा से बोले की आप हमारे साथ आ जाइए और जदयू के सिंबल पर लड़िए. अगर बात नहीं बनी तो वह महागठबंधन में जा सकते हैं.
फिलहाल कुशवाहा क्या निर्णय लेंगे यह वक्त बताएगा, लेकिन BJP कुशवाहा को साथ रखना चाहती है. सूत्रों के अनुकूल 2014 की तरह 2024 लोकसभा चुनाव में कुशवाहा तीन सीटें चाहते हैं. बिहार में कुशवाहा समाज की आबादी करीब 4 फीसदी है. उपेंद्र कुशवाहा इस समाज के बड़े नेता हैं. इसलिए BJP उनको कैसे मैनेज करती है यह देखना दिलचस्प होगा.

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