तेजस्वी के पास बिहार के विकास का विजन है.''
उन्होंने बोला, ''एनडीए में चिराग की अनदेखी हो रही है. जब आवश्यकता पड़ती है तो बीजेपी चिराग को साथ ले लेती है और कार्य होने के बाद चिराग को एनडीए से बाहर कर देती है.'' इससे पहले रविवार (10 मार्च) को चिराग पासवान ने रविवार को दावा किया कि हर दल उनकी पार्टी को अपने खेमे में रखना चाहता है. 'महागठबंधन' में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और तीन वामपंथी दल सम्मिलित हैं.न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि चिराग पासवान अगर महागठबंधन में आते हैं तो उन्हें छह से अधिक सीटें दी जा सकती हैं. पीटीआई के मुताबिक, बीजेपी नेताओं ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बोला कि चाचा और भतीजे के बीच झगड़ा एक मसला है और पार्टी चिराग की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें खोने का जोखिम नहीं उठा सकती है. बीजेपी नेता ने साथ ही बोला कि पार्टी पशुपति पारस से भी मुंह नहीं मोड़ना चाहती है.इससे पहले बीते रविवार को वैशाली के साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए चिराग पासवान ने संकेत दिया कि वह विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और बेहतर पेशकश करने वाले खेमे में सम्मिलित हो सकते हैं.
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में छह सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उन सभी पर जीत हासिल की थी. हालांकि बाद में एलजेपी में बड़ी फूट पड़ गई. चिराग पासवान के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस इस वक्त एनडीए में सम्मिलित हैं. चिराग अन्य सीटों के साथ हाजीपुर सीट को लेकर अड़े हैं. वहीं पारस ने साफ कर दिया है कि वह हाजीपुर सीट से फिर से चुनाव लड़ेंगे.