कौन है उसके लिए जिम्मेदार?
उस संबंध में कौन बताएगा कि इस गुनाह के लिए राजनीतिक संरक्षण देने का राजनीति में महा पाप किसने किया?उधर जेडीयू के इस बयान पर आरजेडी ने पलटवार किया है. आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने बोला कि अपराध के प्रश्न पर बोलने का कोई नैतिक हक जेडीयू के नेताओं को नहीं रह गया है. सारा पाप का श्रेय जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व को है. जो बिहार सरकार का नेतृत्व कर रहा है. प्रश्न उठाया कि किसने आयोग को भंग किया था? जो आरोपियों और अपराधियों की शिनाख्त के लिए गठित की गई थी. आयोग की जांच में किनके वंशज के नाम आ रहे थे जिससे घबराकर मुख्यमंत्री बनते ही डर से आयोग को भंग करना पड़ा?बता दें कि लालू प्रसाद यादव 1990 में मुख्यमंत्री बने थे इसके बाद चारा घोटाला मामले में 1997 में जेल जाने के बाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाए थे. 2005 तक राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री रहीं. दोनों पति-पत्नी ने मिलकर 15 वर्ष बिहार में शासन किया था. उस समय बिहार में जंगल राज का हवाला देकर नीतीश कुमार 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे.इसके बाद से हर चुनाव में जेडीयू और बीजेपी लालू राज में हुए नरसंहार एवं हत्याओं के दौर की याद दिलाते हुए आक्रमण करती है. अब जब तेजस्वी चुनावी सभा में 17 महीने में नौकरी देने का दावा कर रहे हैं तो एनडीए से जुड़े दल के नेता भी लालू-राबड़ी के शासन की याद दिलाकर प्रश्न उठा रहे हैं.