मुझे दुःख तब हुआ जब आपकी आंखों के सामने घटित इस घटना पर आप खामोश रहे.
मंच के ठीक सामने पहली पंक्ति में खड़े लोग चिल्ला-चिल्लाकर मुझे और मेरी मां को गाली दे रहे थे और आप खामोशी से खड़े थे. खत में चिराग पासवान ने बोला कि किसी भी परिवार के बारे में ऐसी भाषा का इस्तेमाल या ऐसी भाषा को प्रोत्साहन अनुचित है. इस मामले में नेताओं की खामोशी असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देती है. राजनीतिक दलों के विचार अलग हो सकते हैं, तकरार हो सकते हैं, लेकिन वैमनस्य होना उचित नहीं है. आपकी पार्टी के समर्थकों द्वारा की गई इस हरकत से 90 के दशक के जंगलराज की यादें ताजा हो गई है. एक बेटे होने के नाते मेरे लिए अपनी मां के बारे में ऐसा शब्द सुनना कितना पीड़ादायक है, इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते.उन्होंने आगे लिखा, 'मैं चाहता हूं कि आप अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को कड़ा संदेश दें ताकि आइंदा मेरे साथ ही नहीं, बल्कि, बिहार में रह रही किसी भी मां-बहन के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं किया जा सके.' उन्होंने खत के अंत में लिखा है कि मेरी माताजी का तिरस्कार करने वालों पर आप तत्काल कार्रवाई करेंगे.