पप्पू यादव को यही राय है कि अभी भी नाम वापस लेने का समय बचा हुआ है.
नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 8 अप्रैल है. ऐसे में देखना होगा कि पप्पू यादव क्या अखिलेश प्रसाद सिंह की बात मानते हैं या फिर वह चुनाव लड़ते हैं. पप्पू यादव ने खुले तौर पर बोल दिया है कि सब कुछ बर्दाश्त है लेकिन पूर्णिया छोड़ने की बात बर्दाश्त नहीं है. गुरुवार को पप्पू यादव ने रोया भी था. बोला था कि 14 दिन से वो टॉर्चर हो रहे हैं.उधर दूसरी तरफ अखिलेश प्रसाद के बयान के बाद प्रश्न है कि क्या कांग्रेस कार्रवाई कर सकती है? पप्पू यादव को चुनाव लड़ने से रोक सकती है? राजनीतिक जानकार अरुण कुमार पांडेय बोलते हैं कि पप्पू यादव ने निर्दलीय नामांकन किया है इसलिए उनके नामांकन में कांग्रेस कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. कांग्रेस बहुत ज्यादा करेगी तो उन्हें सिर्फ पार्टी से निकाल सकती है.
अरुण पांडेय ने बोला कि पप्पू यादव कांग्रेस का झंडा, चुनाव चिह्न, ये सब पोस्टर बैनर में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. व्यक्तिगत रूप से अपने भाषण में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी या किसी अन्य व्यक्ति के प्रति श्रद्धा दिखाते हुए नाम लेते हैं तो इस पर भी पार्टी नियमानुसार कोई ऑब्जेक्शन नहीं डाल सकती है.