जानवर भी गर्मी से बचने के लिए बाहर नहीं निकल रहे हैं.
संजय गांधी जैविक उद्यान के डिप्टी डायरेक्टर सह रेंजर आनंद कुमार ने बताया कि टेंपेरेचर में ज्यादा बढोत्तरी हो रही है उसको देखते हुए हम लोग सबसे पहले जानवरों को बचाने और किसी प्रकार की उसे गर्मी से बीमारी ना हो इसके लिए खास इंतजाम कर रहे हैं.उन्होंने बताया, "चिड़िया घर में करीब 1100 जानवर है जो कूल 90 वैराइटीज के पशु पक्षी हैं. इनमें अधिकतर पशु पक्षियों को गर्मी से परेशानी होती है. सबसे ज्यादा परेशानी चिंपांजी और काला बंदर को होता है. इनके खान-पान में पूरी तरह परिवर्तन कर दिया गया है. चिंपांजी और काला बंदर को दही भात, नारियल पानी, तरबूज जैसे खाद्य पदार्थ दिए जा रहे हैं."शेर, बाघ, तेंदुआ इन सब जानवरों को भोजन में कमी कर दी गई है. जैसे कोई जानवर को 12 किलो मांस दिया जा रहा है तो उन्हें घटाकर 8 या 9 किलो कर दिया गया है. साथी सभी जानवरों के पास एक-एक कूलर रखा गया है. जो 24 घंटे चालू रहते हैं."जो भी जानवर गर्मी महसूस करते हैं वह कुलर के पास चले आते हैं. चिड़िया को भी गर्मी बर्दाश्त नहीं होती है तो कुछ ऐसी चिड़ियां हैं, जिनको फॉगिंग की व्यवस्था की गई है. जिसमें झरना की तरह पानी गिरते हैं और उनसे ठंडी हवा निकलती है जिससे चिड़िया को राहत मिल रही है. कुछ ऐसी चिड़िया हैं. जिन पर हमेशा जू कर्मी पानी का छिड़काव करते हैं.रेंजर आनंद कुमार ने बताया कि गर्मी में चिड़ियाघर में दर्शकों की संख्या में काफी ज्यादा गिरावट आ गई है. चिड़ियाघर में रोजाना 7 से 8 हजार दर्शक पहुंचते हैं लेकिन अभी अधिकतम ढाई से तीन हजार दर्शक ही पहुंच रहे हैं. उन्होंने बोला कि यह बड़ी बात है कि इतनी गर्मी में भी चिड़िया घर में लोग आना पसंद कर रहे हैं. यही कारण है कि हम लोग उत्साहित होकर जानवरों का रख रखाव पर खास ध्यान देते हैं. किसी भी जानवर को लू न लगे या डिहाईड्रेशन का शिकार ना हो इन सब का खास ख्याल रखा जाता है.