कई विधायक हमारे संपर्क में हैं. इसलिए किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कौन कब और क्या करेगा. चुनाव अभी लंबा चलेगा.
बता दें कि हरियाणा सरकार पर मंगलवार को उस समय राजनीतिक संकट गहरा गया, जब बीजेपी से तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया. इन निर्दलीयों में पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं. इन विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को अपना समर्थन दे भी दिया.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और राज्य कांग्रेस प्रमुख उदय भान की मौजूदगी में तीनों विधायकों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में समर्थन वापसी की घोषणा की. सरकार से समर्थन वापिस लेने और कांग्रेस को समर्थन देने पर निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने कहा कि बीजेपी ने मुझे किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुलाया. कांग्रेस पार्टी गरीबों और किसानों के बारे में सोचती है.
बता दें कि 12 मार्च को ही नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. वहीं 13 मार्च को भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था.
बीजेपी के पास अब केवल 40 विधायक?
हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान ने दावा किया है कि हरियाणा के तीन निर्दलीय विधायकों सोमवीर सांगवान, रणधीर सिंह गोलन और धर्मपाल गोंदर ने बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में इस वक्त 88 विधायक हैं, जिसमें बीजेपी के 40 सदस्य हैं. बीजेपी सरकार को पहले जेजेपी विधायकों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन जेजेपी ने भी समर्थन वापस ले लिया था और अब तीन निर्दलीयों ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया है.
क्या बीजेपी सरकार पर बड़ा संकट?
अब सवाल उठता है कि क्या हरियाणा सरकार पर तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी से बड़ा संकट आ गया है या क्या सरकार अल्पमत में आ चुकी है? तो जवाब है नहीं. इसका कारण है कि अब भी बीजेपी के पास 45 विधायकों का समर्थन है, जिसमें 40 विधायक उनकी अपनी पार्टी के और पांच निर्दलीय हैं.
दूसरा सवाल है कि क्या तीन निर्दलीयों के समर्थन वापसी से कांग्रेस के पास सरकार बनाने का कोई भी मौका है? इसका भी फिलहाल जवाब है कि नहीं. क्योंकि कांग्रेस के पास तीस विधायक हैं. तीन और जुड़े तो ये संख्या 33 हुई. वहीं जेजेपी के 10 विधायक कांग्रेस के साथ तो फिलहाल जाने वाले नहीं हैं. और जाते भी हैं तो ये संख्या 43 ही होती है.