चिलचिलाती धूप में दोपहर डेढ़ बजे स्कूल से घर पहुंचने में परेशानी होती है.
इन तमाम चीजों को लेकर शिक्षक समाज काफी आहत है. सीएम नीतीश से अनुरोध है कि हमारी समस्याओं का संज्ञान लेते हुए उसका समाधान करें.बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक दीपांकर गौरव ने बोला कि जिस तरह बच्चों को छुट्टी दी गई है उसी तरह शिक्षकों को भी छुट्टी दी जाए. हाथ जोड़कर सीएम नीतीश एवं शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव प्रार्थना करता हूं क्योंकि ग्रीष्मावकाश में शिक्षकों ने लगातार काम किया था व परिश्रम करके बिहार के शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने का कार्य किया. अगर शिक्षकों के लिए भी स्कूल बंद कर दिया जाए तो इससे बड़ा निर्णय बिहार सरकार का और कुछ नहीं होगा. इससे शिक्षकों को मानसिक प्रताड़ना से आजादी मिलेगी.आगे उन्होंने बोला कि भयंकर गर्मी को देखते हुए बच्चों के लिए जो सरकारी स्कूल बंद करने का फैसला लिया गया यह सही निर्णय है.वहीं, वैशाली, बेतिया के जिला शिक्षा पदाधिकारी के खत से स्पष्ट होता है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने यह निर्देश दिया है. वैशाली के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने जो पत्र जारी किया है उसमें इस बात का जिक्र है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में केके पाठक ने यह निर्देश दिया है. स्कूलों में शिक्षक पहले की तरह ही निर्धारित समयानुसार आएंगे विद्यालय में मौजूद होकर परीक्षा की कॉपी जांचेंगे, गैर शैक्षणिक कार्यों का निष्पादन करेंगे.बेपटरी हुई शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केक पाठक ने बीते महीनों में एक के बाद एक कई निर्णय लिए जिसमें कई फैसलों पर विवाद भी हुआ. अब इस ताजा निर्णय पर विवाद हो सकता है.बता दें कि बिहार सरकार ने भयंकर गर्मी के चलते सरकारी एवं निजी स्कूलों को 30 मई से 8 जून तक बंद रखने का फैसला लिया है. यह फैसला कई स्कूलों में छात्रों की तबीयत बिगड़ने और बेहोश होने के बाद लिया गया है. स्कूल सिर्फ बच्चों के लिये बंद हैं. शिक्षकों को स्कूल आना होगा. सरकारी स्कूलों में 15 अप्रैल से 15 मई तक गर्मी की छुट्टी थी. 16 मई से विद्यालयों का नियमित रूप से संचालन हो रहा था.