इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में धरातल पर असमंजस की स्थिति निरंतर बनी रहती है.
"आगे पत्र में उन्होंने बोला, "जैसे ही कार्यकर्ता पार्टी की तरफ से कोई भी स्टैंड लेना शुरू करते हैं तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से ठीक उल्टा फैसला ले लिया जाता है. फिर भी हम सबों को लगा कि माननीय मुख्यमंत्री जी पार्टी और राज्य हित को देखते हुए कुछ उचित निर्णय लिए होंगे, लेकिन चुनाव के दो चरण बीत जाने के बावजूद भी एनडीए गठबंधन की तरफ से बिहार हित को लेकर कोई भी बड़ी घोषणा अभी तक नहीं हुई है. सामान्यतः पिछले चुनावों में बिहार के हित को लेकर प्रधानमंत्री जी स्वयं ही कोई न कोई बड़ी घोषणा किया करते थे, लेकिन इस बार बिहार के बारे में उनकी ओर से विशेष राज्य का दर्जा सहित दर्जनों बड़े विषयों पर अभी तक कोई वादा या जिक्र तक नहीं की गई है."अजीत कुमार ने अपने पत्र में यह भी बोला है कि बीजेपी के नेता संविधान बदलने की बात सार्वजनिक मंच से निरंतर कर रहे हैं, जिन पर अंकुश न लगाने की वजह से बीजेपी का एजेंडा देश के लोकतंत्र लिए खतरनाक रूप अख्तियार कर चुका है. नागरिक समाज में इस विषय को लेकर गहरी चिंता है. ऐसे में संगठन के पद धारक के तौर पर नैतिक रूप से लोगों के बीच में जाकर एनडीए गठबंधन के लिए वोट मांगना अच्छा नहीं लगता है, इसलिए जनता दल यूनाइटेड पार्टी के पद/सांगठनिक प्रभार सहित प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देता हूं.