आज पहली बार जीवन में वो मेरे साथ नहीं हैं.
चिराग पासवान ने बोला कि एक ओर जहां उनकी कमी महसूस हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ संतोष भी हो रहा है कि एक पुत्र धर्म को जिस तरह से निभाना चाहिए, हाजीपुर जिसको उन्होंने (रामविलास) अपनी मां का दर्जा दिया आज उसी हाजीपुर की धरती को मैं नमन करने जा रहा हूं. हाजीपुर के लोगों से आशीर्वाद लेने जा रहा हूं. आशा और पूरा विश्वास है कि जिस तरह पापा को हमेशा हाजीपुर के लोगों ने सिर आंखों पर बैठाया था ये आशीर्वाद मुझे भी मिलेगा.बातचीत में चिराग ने आगे बोला, "मैं ईमानदारी से बोलता हूं कि किसी भी लड़ाई को किसी भी चुनौती या चुनाव को मैं हल्के में नहीं लेता. जरूरी है कि हर पल आप अपना शत प्रतिशत देते जाएं. ईमानदारी से प्रयत्न करते जाएं. मेरी ओर से मेरे प्रयासों में कहीं कमी न रह जाए इस बात को मैं अवश्य ध्यान में रखूंगा. आखिरी निर्णय जनता को लेना है."