उन्होंने बोला कि कोई भी पार्टी अपनी नीति और क्रियाकलापों के आधार पर चलती है.
हरि सहनी ने बोला कि कुछ दिन पहले वीआईपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजीव मिश्रा और वीआईपी नेता अशोक चौहान ने सम्राट चौधरी के नेतृत्व में बीजेपी का दामन थामा था. इससे बौखला कर वीआईपी प्रमुख कोई ना कोई गलत कदम उठा ले रहे हैं.हरि सहनी ने आगे बोला कि मुकेश सहनी निषाद आरक्षण की बात करते हैं, लेकिन संगठन अपने लक्ष्य से जब दिशाविहीन हो जाता है तो फिर अपने समाज क्या अपने प्रांत अपने देश को भी नुकसान पहुंचा देता है. वही स्थिति अभी वीआईपी सुप्रीमो का हो गया है. वह व्यापार समझकर सियासत कर रहे हैं और सियासत व्यापार की चीज नहीं है.
उधर हरि सहनी पर पलटवार करते हुए वीआईपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने बोला कि एनडीए के लोग और खास करके बीजेपी के लोग अपनी हार को देख कर बौखलाहट में हैं. 4 जून को बिहार और देश से एनडीए का सफाया होने जा रहा है. ये लोग झूठ बोलने की फैक्ट्री हैं. देव ज्योति ने फेसबुक पोस्ट को लेकर बोला कि अशोक चौहान को वीआईपी का प्रदेश अध्यक्ष बताकर बोला गया कि बीजेपी में सम्मिलित हुए हैं जबकि वो विकासशील इंसान पार्टी के नेता नहीं थे. वो तो मनरेगा के कर्मचारी हैं. ऐसे में ताना कसने के लिए पोस्ट किया गया कि सम्राट चौधरी वीआईपी में सम्मिलित हो गए हैं.