सम्राट चौधरी के जरिए बीजेपी की नजर कोइरी और कुर्मी वोट बैंक साधने की थी.
इसी बीच, प्रदेश की राजनीति का गणित बदला और नीतीश कुमार फिर से एनडीए के साथ आ गए. एनडीए की सरकार बनी और सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया.बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी संगठन में परिवर्तन कर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी, लेकिन चुनाव के बाद अब बड़े परिवर्तन की तैयारी है. देखा जाए तो आरजेडी जहां कुशवाहा समाज को साधने की कोशिश में जुटी है, वहीं बीजेपी अपने जातीय समीकरण को दुरुस्त करने को देख रही है.
सूत्रों के अनुकूल , बीजेपी सभी पहलुओं पर विचार कर रही है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बदलने पर भी विचार किया जा रहा है. ऐसे में कई नामों की जिक्र है. कहा जा रहा है कि बीजेपी सम्राट चौधरी को ही अध्यक्ष बनाए रख कर उपमुख्यमंत्री पद पर बदलाव कर सकती है. हालांकि अभी कुछ भी बोलना जल्दबाजी है. सूत्रों का बोलना है कि लोकसभा चुनाव में उम्मीद से बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिलने के बाद यह साफ है कि बीजेपी अगले वर्ष होने वाले चुनाव के लिए कोई जोखिम नहीं लेना चाहती. ऐसे में प्रदेश बीजेपी का कोई नया अध्यक्ष मिले तो कोई हैरानी नहीं होगी.