संवाद
आपको बता दें लालू प्रसाद यादव ने प्रयोग के तहत यादव और भूमिहार बहुल सीट पर कुशवाहा को टिकट दिया था, इसका नुकसान ये हुआ कि उनके पुराने करीबी सहयोगी राजबल्लभ यादव के भाई विनोद यादव निर्दलीय मैदान में उतर गए। इसके कारण यादव का वोट बंट गया। इसका खामियाजा भी विपक्षी गठबंधन को हो रहा है। और एनडीए को फायदा देखने को मिला।
जानें नवादा चुनावी इतिहास
नवादा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का दबदबा देखने को मिलता है. 1952 से लेकर 1962 तक जितने भी चुनाव हुए, कांग्रेस प्रत्याशी ने ही परचम लहराया. हालांकि, कांग्रेस के जीत के सिलसिले को 1967 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी सूर्य प्रकाश पुरी ने रोका. इस चुनाव में सूर्य प्रकाश पुरी विजयी रहे.हालांकि, जब 1971 का चुनाव हुआ तो कांग्रेस ने दमदार वापसी करते हुए जीत हासिल की.कांग्रेस के टिकट पर सुखदेव प्रसाद वर्मा चुनाव जीते.1977 में जब इस सीट पर लोकसभा चुनाव हुआ तो भारतीय लोक दल ने नथुनी राम को टिकट दिया औऱ नथुनी राम चुनाव जीत गए. लेकिन कांग्रेस ने 1980 के चुनाव वापसी करते हुए जीत हासिल की. कांग्रेस के कुंवर राम ने चुनाव यह चुनाव जीता था. इसका अगला चुनाव 1984 में कुंवर राम ने जीता. 1989 के चुनाव में समीकरण बदल गए औऱ जनता ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के प्रेम प्रदीप को जीताया.1991 में जीत का सिलसिला बरकरार रखते हुए फिर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी ने जीता.