टेंडर घोटाला मामले में जेल में बंद झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम के सारे विभागों को मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने वापस ले लिया है.
आलमगीर आलम को टेंडर आवंटन कमीशन घोटाला मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था और उनकी गिरफ्तारी के बाद से विभागीय कामकाज प्रभावित हो रहा था, जिसके बाद उन्होंने ये फैसला लिया है.
झारखंड के सीएम ने एक बड़े फैसले में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को आवंटित सभी चार विभाग, संसदीय कार्य, ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य और पंचायती राज को संभालेंगे. विभागों के इस फेरबदल की अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है. जेएमएम सीएम के इस फैसले को ग्रामीण मंत्री और कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
ईडी ने कांग्रेस नेता आलमगीर आलम को टेंडर घोटाला कैश हेराफेरी मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जेल में रहने के बावजूद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया. अब चंपई सोरेन ने सभी विभाग वापस ले लिए हैं. इस मालूम होता है कि सीएम की ओर से कांग्रेस के लिए संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि पार्टी को उन (आलम) पर फैसला लेना चाहिए. नहीं तो उन्हें अपने पद से खुद इस्तीफा देने के लिए कहना चाहिए या फिर सीएम उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद से बर्खास्त कर सकते हैं, क्योंकि आलमगीर आलम बिना पोर्टफोलियो के मंत्री बने रहेंगे.
मंत्री सचिव के घर मिला करोड़ों कैश
आलमगीर आलम के सचिव के नौकर के घर से 37 करोड़ रुपए से अधिक कैश बरामद हुआ था इसी सिलसिले में उन्हें पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था.
कौन हैं आलमगीर आलम
आलमगीर आलम पाकुड़ विधानसभा से कांग्रेस के 4 बार विधायक रहे हैं और अभी राज्य सरकार में संसदीय कार्य और ग्रामीण विकास मंत्री हैं. इससे पहले आलमगीर आलम 20 अक्टूबर 2006 से 12 दिसंबर 2009 तक झारखंड विधानसभा अध्यक्ष भी रहे थे. विरासत में राजनीति मिलने के बाद आलमगीर ने सरपंच का चुनाव जीतकर राजनीति में प्रवेश किया था. 2000 में पहली बार वह विधायक बने और तब से लेकर अभी तक 4 बार विधायक बन चुके हैं.
2005 में आलमगीर आलम पाकुड़ से विधायक चुने गए थे. उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के अकील अख्तर को 18066 वोटों से हराया था. 2009 में झामुमो के अकील अख्तर विधायक बन गए थे. लेकिन 2014 में अचानक राजनीतिक बदलाव हो गया. कांग्रेस से विधायक रहे आलमगीर आलम ने तब झारखंड मुक्त मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए थे.