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कर्नाटक में 187 करोड़ के वाल्मीकि विभाग घोटाले के बाद वक़्फ़ बोर्ड में भी करोड़ों का घोटाला, FIR दर्ज

संवाद 

कर्नाटक में कुछ दिन पहले महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड के एक अधिकारी ने ख़ुदकुशी कर ली थी। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में बताया था कि, उन पर दबाव डालकर गलत काम करवाया गया और दलित फंड के 187 करोड़ रूपए दूसरी जगह ट्रांसफर कराए गए।

उन्होंने अपने सुसाइड नोट में कुछ अधिकारियों समेत मंत्री का भी जिक्र किया था। जिसके बाद बवाल मचने पर इस विभाग को संभालने वाले मंत्री बी नागेंद्र को इस्तीफा देना पड़ा था। वहीं, पूछताछ के बाद जाँच एजेंसी ने कांग्रेस विधायक बी नागेंद्र को अरेस्ट कर लिया है। वहीं, अब राज्य के वक्फ बोर्ड में भी बड़ी गड़बड़ी निकलकर सामने आई है। 

उक्त दोनों मामलों में आरोप किसी विपक्षी नेता ने नहीं बल्कि, विभाग के ही कर्मचारियों -अधिकारियों ने लगाया है। जिससे स्पष्ट होता है कि, कांग्रेस शासन के दौरान राज्य में भ्रष्टाचार किस कदर फैल रहा है। 

दरअसल, वक्फ बोर्ड के एक अधिकारी ने पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी जुल्फिकारुल्लाह के खिलाफ 4 करोड़ रुपये के घोटाले को लेकर FIR दर्ज कराई है। कर्नाटक वक्फ बोर्ड के वर्तमान CEO मीर अहमद अब्बास ने पूर्व CEO जुल्फीकारुल्ला पर ये आरोप लगाए हैं। शिकायत में पूर्व CEO के खिलाफ बोर्ड को आठ करोड़ रुपये का नुकसान करने का आरोप लगा है। बंगलूरू के ग्राउंड पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत में कहा गया है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2016 में गुलबर्गा दरगाह से जुड़ी वक्फ बोर्ड की जमीन ली थी और इसके बदले में 2।29 करोड़ रुपये दिए थे। इसके अलावा, 2016 में सिद्धारमैया सरकार के धार्मिक न्यास विभाग से 1।79 करोड़ रुपए की राशि वक्फ विभाग को दिए गए थे। कुल मिलाकर बेंगलुरु में इंडियन बैंक, बेन्सन टाउन शाखा में वक्फ बोर्ड के बैंक खाते में 4 करोड़ रुपए का ट्रांसक्शन किया गया था।

शिकायत के मुताबिक, इससे वक्फ को ब्याज सहित कुल 8 करोड़ का नुकसान हुआ। यह मामला वक्फ बोर्ड के CEO के रूप में कार्यरत अहमद अब्बास द्वारा बैंगलोर हाई ग्राउंड पुलिस स्टेशन में दाखिल किया गया था। वक्फ बोर्ड का कहना है कि इस मामले में आरोपी पूर्व CEO से जवाब भी मांगा गया था, मगर वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।

क्या है वक्फ बोर्ड और कितनी संपत्ति है उसके पास ? 

बता दें कि, वक्फ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के लफ्ज वकुफा से हुई है। इस्लाम में वक्फ उस संपत्ति को कहा जाता है, जो अल्लाह के नाम पर दान कर दी जाती है। एक बार संपत्ति वक्फ हो गई, तो फिर उसे मालिक को कभी वापस नहीं मिलती। वक्फ बोर्ड के पास देश में इंडियन आर्मी और इंडियन रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन है। यानी, वक्फ बोर्ड भारत का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। 

कांग्रेस सरकार ने 1995 में मौजूदा कानून बनाकर वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां प्रदान कर दी हैं। इसी का नतीजा है कि वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के अनुसार, 2022 तक देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं, जो लगभग 8 लाख एकड़ से अधिक जमीन पर फैली है। 

वैसे तो बंटवारे बाद ही नेहरू सरकार ने वक़्फ़ अधिनियम बना दिया था, और भारत छोड़कर गए मुस्लिमों की पूरी संपत्ति वक्फ बोर्ड के नाम कर दी थी। हालाँकि, बाद में इसमें और बदलाव हुआ और कांग्रेस सरकारों ने इसे और ताकत दे दी। इसके बाद भी वक्फ बोर्ड दूसरी जमीनों पर दावा ठोंकते हुए अपनी संपत्ति में इजाफा करता रहा। 

मौजूदा कानून में सबसे बड़ा प्रावधान ये है कि वक्फ यदि आपके घर पर दावा ठोंक दे, यानी उसे वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दे, तो आप किसी कोर्ट में भी नहीं जा सकते, उसके लिए आपको वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल के पास ही जाना होगा। फिर ट्रिब्यूनल की इच्छा की वो आपकी संपत्ति वापस दे या नहीं ? 

यहाँ तक कि इलाहबाद हाई कोर्ट को भी अपनी जमीन वक्फ से वापस पाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े थे, वो तो अदालत थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में उसकी सुनवाई हो गई और उसे जमीन वापस मिली, वरना इलाहबाद हाई कोर्ट की जमीन पर भी वक्फ का कब्ज़ा होता। कई भाजपा नेताओं ने इस कानून को ख़त्म करने की मांग उठाई है, बताया जा रहा है कि, इसके लिए कानूनी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

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