शहीद अजय कुमार झा की पत्नी अन्नू देवी अपने बच्चों के साथ सीआरपीएफ कैंप झपहां से घर पहुंची थीं.
घर पर बार-बार वो रो-रो कर बेहोश हो रही थीं. परिजन उन्हें थामने में लगे थे. शहीद जवान के सगे संबंधी भी अंतिम दर्शन के लिए आए हुए थे. प्राप्त सूचना के अनुसार अजय कुमार झा असम के डिब्रूगढ़ में 20 बीएन सीआरपीएफ में कार्यरत थे, जहां से पांच दिन पहले ही उनकी टीम को मणिपुर के जिरीबाम भेजा गया था. जिरीबाम थाने से आठ किलोमीटर दूर मोंगबुंग में हथियार बंद संदिग्ध उग्रवादियों ने उनकी टीम पर पहाड़ पर से आक्रमण कर दिया और उग्रवादी जंगल में फरार हो गए. सिर में गोली लगने से अजय कुमार झा शहीद हो गए, जबकि घटना में अन्य दो ऑफिसर घायल हो गए.उल्लेखनीय है कि मैतयी और कूकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा की आग में मणिपुर एक वर्ष से जल रहा है, जिसमें भारतीय जवान शहीद होते जा रहे हैं. शहीद अजय के पिता हरिश्चंद्र झा ने बोला कि अजय गुवाहाटी में पिछले एक वर्ष से पोस्टेड थे, मुझे बताया गया अजय किसी ऑपरेशन में मणिपुर गए थे. वहां जब वह गाड़ी चला रहे थे, उसी क्रम में आतंकियों की चलाई गई गोली उनके सिर में आकर लगी और उनकी वहीं मौत हो गई. रविवार को करीब 10 बजे मुझे फोन से अजय के शाहिद होने की खबर दी गई. मेरे दो बेटे में अजय छोटा था. उसको एक लड़का और एक लड़की है. मेरा बड़ा लड़का दिल्ली में नौकरी करता है.
वहीं अंतिम संस्कार के बाद बिहार सरकार की परिवहन मंत्री शिला मंडल ने बोला कि ये तो मेरे विधानसभा के ही थे. जैसे ही मुझे पता चला कि मेरे क्षेत्र के एक वीर जवान अजय जी शाहीद हो गए हैं हम तुरंत यहां आए. भारत मां के लिए शाहिद हुए अजय जी को मेरा नमन है, मैं हृदय से उनको श्रद्धासुमन अर्पित करती हूं. साथ ही मैं ईश्वर से कामना करती हूं की दुःख की इस घड़ी मे भगवान उनके परिवार को सहन करने की शक्ति दें. हम सभी उनके पूरे परिवार के साथ हैं. उनके रिक्त स्थान की पूर्ति कोई नही कर सकता लेकिन अगर किसी भी तरह की कोई भी आवश्यकता होगी तो हम परिवार की हरसंभव सहायता करेंगे.