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'ये विपक्ष की सोची समझी रणनीति...', कहे चिराग पासवान- नीति आयोग की बैठक को डाइवर्ट करना था उदेश्य


संवाद 


दिल्ली में हुई नीति आयोग की बैठक का चार मुख्यमंत्री और कांग्रेस ने विरोध किया गया था. इस पर चिराग पासवान ने बोला कि अगर किसी भी राज्य को लगता है कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है तो यही वह उचित फॉर्म है. नीति आयोग की बैठक ही वह मंच है, जहां पर जाकर आप प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी शिकायतों को रख सकते हैं. उन्होंने ममता बनर्जी के आचरण पर ऐतराज जताते हुए बोला कि नीति आयोग में जिस उद्देश्य के साथ हम लोग बैठे थे, उसके उद्देश्य को डाइवर्ट कर सिर्फ अपनी और पूरा ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से इस तरीके की कार्रवाई की गई.ममता बनर्जी के नीति आयोग में माइक बंद करने के इल्जाम के प्रश्न पर चिराग पासवान ने बोला कि सरासर ये गलत इल्जाम है. किसी भी बैठकों में इस तरह के काम नहीं होते हैं, माइक सामने लगा होता है और किसी के हाथ में उसकी कमान नहीं होती है, वो सरासर झूठ बोल रही हैं. हर मुख्यमंत्री को क्योंकि समय की बाध्यता थी इसलिए जब उनका समय समाप्त हुआ तो उनको रिमाइंडर किया गया. उसके बाद जिस तरह से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एकदम से उत्तेजित हो गईं. बैठक को बीच में छोड़कर चली गईं.मुझे लगता है यह आचरण गलत है. अगर आपको अपनी बात रखनी है कोई नाराजगी भी है तो आप वहीं पर नाराजगी को रखनी चाहिए आपको कहना था कि हमें और कहना है. हम सब वहां उपस्थित थे.

 प्रधानमंत्री जी स्वयं उनको सुनना चाहते थे वित्त मंत्री खुद वहां पर उपस्थित थी. 

वह भी चाहती थीं कि वो क्या बजट को लेकर अपनी बातों को रख रही हैं, लेकिन जिस तरीके से उनका आचरण था, इससे ऐसा लगता है कि विपक्ष पहले से ही यह सोच समझ कर आए थे. रणनीति का भाग था कि वह जाएंगे बवाल खड़े करेंगे.उन्होंने ये भी बोला कि पिछले 10 वर्षों में देश की मजबूत होती अर्थव्यवस्था का लाभ जनता को पहुंचाने का काम किया गया है. इसमें देश के गरीबों का जिक्र किया गया है. अन्नदाताओं, नारी शक्ति का जिक्र किया गया है. युवा शक्ति का इसमें जिक्र किया गया. यह ऐसे सेक्टर हैं, जिसमें प्रमुखता से उनका लाभ पहुंचाने की योजनाओं की राशि की घोषणा की गई. जो राज्य कहते हैं कि उनके साथ अनदेखी हुई है क्या उनके राज्य में गरीब नहीं के उनके राज्य में महिलाएं नहीं है क्या उनके राज्य में किसान नहीं हैं. सिर्फ राजनीतिक हंगामा करने के लिए यह पिछला बजट निकाल कर दिखाएं की किस-किस राज्य को कितना कितना आवंटन किया गया है.जब सरकार कांग्रेस की थी या यूपीए के नेतृत्व में थी कितने राज्यों का जिक्र किया गया. मुझे ताजुब आरजेडी कांग्रेस पर होता है क्या आरजेडी को खुशी नहीं होनी चाहिए कि बिहार को एक बड़ी राशि आवंटित की गई है. चाहे बाढ़ के मामले में हो, चाहे विकास के मामले में, हो जब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलता है तब तक विशेष बिहार को पैकेज मिलना चाहिए. मैं धन्यवाद करता हूं प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का कि उन्होंने बिहार के लिए इतना दिया जो बिहार और बिहारी की मांग है, उस मांग को सुना गया है. कांग्रेस को ऐतराज है तो वह लोग बिहार का विकास नहीं चाहते.
तेजस्वी यादव द्वारा मानसून सत्र में सम्मिलित नहीं होने पर बोला कि अपनी जिम्मेदारियों का सबको एहसास होना चाहिए महत्वपूर्ण सत्र है और हर सत्र महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में विपक्ष के नेता की भूमिका और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है आपको कोई साधारण विधायक नहीं हैं. आप एक संवैधानिक पद पर हैं और आपके पद की गंभीरता बढ़ती है, जब आप विपक्ष के नेता के भूमिका में होते हैं. ऐसे में उसको गंभीरता से लेना अनिवार्य है. मुझे नहीं पता कि वह क्यों विधानसभा से गायब थे, पर वजह से जो भी हो इसको महत्व देना चाहिए.


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