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..जो बचा था वो भी चला गया! दफ्तर बचाने के लिए पशुपति कुमार पारस की पार्टी आइ कोर्ट


संवाद 



पशुपति कुमार पारस के पास पटना स्थित एक पार्टी का दफ्तर ही बचा था अब वो भी उनके हाथ से चला गया है. इस दफ्तर को एक बार फिर चिराग पासवान (Chirag Paswan) दे देने का निर्देश हो गया है. अब कार्यालय बचाने के लिए पशुपति कुमार पारस की पार्टी ने कोर्ट का शरण लिया है. इस मामले में पटना हाई कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई गई है.
कार्यालय खाली करने के निर्देश से पूर्व केंद्रीय मंत्री और आरएलजेपी के संरक्षक पशुपति कुमार पारस की मुश्किलें अब और ज्यादा बढ़ गई हैं. पहले तो लोकसभा चुनाव में एनडीए की तरफ से उन्हें एक भी सीट नहीं दी गई और अब उनकी पार्टी के कार्यालय के आवंटन को निरस्त कर दिया गया है. बीते सोमवार (8 जुलाई) को ही भवन निर्माण विभाग की तरफ से एक पत्र जारी करते हुए इस कार्यालय को चिराग पासवान की पार्टी (एलजेपी रामविलास) को दे दिया गया है. 

ऐसे में पशुपति पारस की पार्टी हाई कोर्ट पहुंची है.

इस पूरे मामले में आरएलजेपी के मीडिया प्रभारी सह कोषाध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा ने मंगलवार (09 जुलाई) को एबीपी बिहार को बताया कि सोमवार (08 जुलाई) को ही हमारी पार्टी के उपाध्यक्ष अम्बिका प्रसाद बिनु की तरफ से इस मामले में याचिका दायर की गई है. आज (मंगलवार) न्यायालय ने इसे स्वीकार भी कर लिया है. इसका टोकन नंबर 14704 है. कोर्ट का जो निर्देश होगा हम लोग मानने के लिए तैयार हैं. बोला कि भवन निर्माण विभाग की तरफ से कहीं ना कहीं दबाव में आकर इस तरह का लेटर जारी किया गया है.बता दें कि बीते 13 जून को ही भवन निर्माण विभाग ने नोटिस भेजकर आरएलजेपी के कार्यालय का आवंटन रद्द कर दिया था. बताया गया था कि पार्टी की ओर से टैक्स का भुगतान नहीं किया गया है. विभाग ने अधिकारिक रूप से अधिसूचना जारी कर पार्टी को इसकी जानकारी दी थी. अब इसे चिराग की पार्टी को दे दिया गया है. 13 जुलाई तक आरएलजेपी को दफ्तर खाली करने का समय दिया गया है.

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