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'प्रशांत किशोर ने यही चाल चली है...', कैसे बिगड़ सकता है NDA और I.N.D.I.A का खेल? पढ़े


संवाद 


जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर बिहार की सियासत में उतरने वाले हैं. प्रशांत किशोर ने जातीय समीकरण साधते हुए साफ संदेश दे दिया है कि वे जनसंख्या के हिसाब से भागीदारी भी देंगे. इसके बाद बिहार की सियासत में खलबली मच गई है. उनके ऐलान के बाद एनडीए और इंडिया गठबंधन के नेता भले यह बोल रहे हों कि वो इसे गंभीरता से नहीं ले रहे, लेकिन पॉलिटकल एक्सपर्ट किसी और नजर से ही देख रहे हैं.राजनीति के जानकार अजय कुमार बोलते हैं कि बिहार की सियासत पर जातियों का गहरा प्रभाव रहा है. प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार रहे हैं और बिहार के गांव-गांव घूम कर इस बात को अच्छी तरह समझते हैं. यही वजह है कि जाति पर ही आधारित फॉर्मूला को लेकर वो सामने आ रहे हैं. राजनीतिक दल बिहार में जनसंख्या के हिसाब से भागीदारी की बात करते हैं लेकिन उतनी हिस्सेदारी नहीं दे पाते. किशोर ने यही चाल चली है. जनसंख्या के अनुपात के आधार पर उनकी पार्टी अपने प्रत्याशी उतारेगी.वे बोलते हैं कि इस फॉर्मूला से अन्य राजनीतिक दलों पर असर पड़ना लाजिमी है, लेकिन कितना असर पड़ेगा यह बोलना अभी जल्दबाजी है.

 दो अक्टूबर को किशोर राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा करने वाले हैं.

 आगे वे एक राजनीतिक दल के रूप में अपनी पार्टी को कैसे सरजमीं पर उतारते हैं, यह देखने वाली बात होगी.बता दें कि करीब दो वर्ष से जन सुराज पदयात्रा कर रहे चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के जिलों, प्रखंडों और गांवों तक का दौरा कर अब राजनीतिक पार्टी बनाने और अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरने की घोषणा कर दी है. गौर करने वाली बात है कि किशोर अपनी पदयात्रा के क्रम में अपना कुनबा भी बढ़ाते रहे. आरजेडी, जेडीयू, बीजेपी सहित कई राजनीतिक दलों के जमीनी स्तर के नेता से लेकर जिला स्तर के नेताओं को पार्टी से जोड़ा.प्रशांत किशोर ने सभी जातियों की भागीदारी सुनिश्चित करने को लेकर सामान्य, ओबीसी, मुस्लिम आदि सभी समुदाय को नेतृत्व देने की घोषणा कर दी है. जिस वर्ग की जितनी संख्या है, उस वर्ग के उतने लोग जन सुराज का नेतृत्व करने वाली 25 सदस्यीय समिति में सम्मिलित होंगे. यही सामाजिक प्रतिनिधित्व जन सुराज की सभी समितियों और टिकट वितरण में भी सुनिश्चित किया जाएगा. इस घोषणा के अलावा सामान्य शैक्षणिक योग्यता की भी बात बोली गई है.
जन सुराज के एक नेता ने बोला कि बिहार में सबसे ज्यादा 35 प्रतिशत अति पिछड़ा समाज है तो उसे विधानसभा की 243 के 35 फीसद सीटों पर यानी 75 से अधिक सीटें दी जाएंगी. उसी फॉर्मूले के तहत सीटों की हिस्सेदारी दी जाएगी. जन सुराज के इस फॉर्मूले से सबसे ज्यादा बेचैन आरजेडी दिख रही है. वह जन सुराज को बीजेपी की बी टीम बता रही है. आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बोला है कि प्रशांत किशोर ये सारी कवायद बीजेपी के लिए कर रहे हैं जिससे वो भारी मुनाफा कमाते हैं. प्रशांत किशोर का कोई वजूद बिहार में नहीं है. बिहार की जनता सबको पहचानती है और वक्त आने पर उसका बखूबी जवाब भी देती है.

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