बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने पटना कोर्ट के निर्णय को सही मानते हुए 65 प्रतिशत आरक्षण पर पाबंदी के निर्णय को बरकरार रखा है. इस पर बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने बोला कि हाई कोर्ट के जिस निर्णय को चुनौती देते हुए बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी, उसे सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को बरकार रखा है. इस मामले पर फिर सितंबर में सुनवाई की जाएगी.प्रेम रंजन पटेल ने बोला कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का सरकार अध्ययन कर रही है. आगे इस लड़ाई को कैसे लड़ा जाए और इस आरक्षण के तहत सामाजिक अधिकार जिसका बनता है. उस पर कार्य किया जाएगा इसको सरकार देख रही है. इस आरक्षण को कैसे प्राप्त किया जाए इस पर आगे सरकार काम करेगी. विपक्ष का बोलना कि आरक्षण को नौंवी अनुसूची में क्यों नहीं डाला जा रहा को लेकर प्रेम रंजन पटेल ने बोला आज तक विपक्ष ने दबे कुचले, पिछड़े और कमजोर को आरक्षण दिया नहीं.
विपक्ष ने इन लोगों को सिर्फ इस्तेमाल किया है.
हमारी सरकार इन तमाम वर्गों का ख्याल रखती है. डबल इंजन की सरकार देने वाली सरकार है और विपक्ष के लोग सिर्फ बोलने वाले हैं.दरअसल बिहार सरकार ने जब आरक्षण की सीमा 65% बढ़ाई थी, तब इसे लेकर पटना हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई थीं, जिसमें राज्य सरकार के इस निर्णय की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए ने 20 जून को बिहार सरकार के इस निर्णय को रद्द कर दिया. तब सरकार ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन यहां से भी बिहार सरकार को निराशा ही हाथ लगी. अब सरकार इस पर नए सिरे से सोंचेगी. जैसा कि सरकार की सहयोगी पार्टी बीजेपी के प्रवक्ता का बोलना है. आगे इस पर क्या हो सकता है. फिलहाल 65 प्रतिशत आरक्षण का मामला बीच अधर में ही लटका रहेगा.