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बिहार विधानसभा चुनाव में किन 2 दलों के बीच होगा मुकाबला? प्रशांत किशोर कहे- 'जन सुराज और...'


संवाद 


2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत किशोर मैदान में जोरदार तरीके से उतर चुके हैं. जन सुराज को वह पार्टी में तब्दील करेंगे. इसके बाद पार्टी से जुड़े नेता 2025 में चुनाव लड़ेंगे. बिहार में मौजूदा समय की बात करें तो एनडीए की सरकार है. मुख्य रूप से विपक्ष में आरजेडी है. ऐसे में 2025 के चुनाव में प्रशांत किशोर का मुकाबला किससे होगा इस पर उन्होंने बड़ा वर्णन दिया है. अपनी पार्टी को लेकर प्रशांत किशोर ने बोला कि कोई चैलेंज नहीं है. सवालिया लहजे में बोला कि जन बल के आगे कौन बल है? उन्होंने बोला कि लड़ाई जन सुराज और एनडीए के बीच होगी यह साफ है. प्रशांत किशोर ने आगे बोला, "एनडीए में तो एक टायर नीतीश कुमार हैं जो पहले से पंक्चर हैं. दो-चार स्टेपनी है (छोटे-मोटे दल) उनकी वैल्यू नहीं है. भाजपा अकेले कितना खींचेगी? आरजेडी से कोई मुकाबला नहीं है." पीके ने आगे बोला कि आरजेडी अपने दम पर 1995 में जीती थी. उसके बाद कांग्रेस की स्टेपनी पर चल रही है.

आरजेडी को 2010 में 22 सीट आई थी. 

पिछली बार चिराग पासवान खड़े नहीं होते तो फिर आरजेडी को 30-32 सीट आती. इस क्रम में जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आरजेडी पर जमकर आक्रमण किया. उन्होंने बोला कि आरजेडी का जो सपोर्ट है वह मुसलमानों का वोट है. सबसे ज्यादा ठगा और डराया गया मुसलमानों को ही है. लालटेन में केरोसिन तेल निकल जाएगा तो कब तक जलेगा? मुसलमान आरजेडी के तेल हैं. वो लोग भी अब समझ गए हैं घात करने वाली आरजेडी ही है. वो लोग अब जन सुराज से जुड़ रहे हैं. बीजेपी की बी टीम पर पीके ने बोला कि थोड़े दिन में ए टीम माना जाएगा. फिर पता चलेगा कि कोई टीम ही नहीं बची.प्रशांत किशोर ने बोला कि बिहार में एक बड़ा जनमानस करीब-करीब 100 प्रतिशत लोग चाहे वो आरजेडी, बीजेपी, जेडीयू या किसी के समर्थक हैं, हर व्यक्ति बिहार में परिवर्तन चाहता है. विकल्प चाहता है. जन सुराज को देखता है कि मौका है जब नया विकल्प बनाया जा सकता है. लोग मुक्ति पाना चाहते हैं. हजारों की संख्या में लोग जन सुराज से हर दिन जुड़ रहे हैं.नीतीश कुमार की पार्टी प्रश्न कर रही है कि आपके पास पैसा कहां से आ रहा है? कैसे चुनाव लड़ाएंगे? इस पर प्रशांत किशोर ने बोला कि नीतीश कुमार का अब राजनीतिक जीवन का आखिरी दौर है. जो लोग प्रश्न कर रहे हैं उनको हर दिन हम जवाब दे रहे हैं. 2014 में जब उनकी नाव डूब गई थी, नीतीश कुमार राजनीतिक भगोड़े के तौर पर मुख्यमंत्री का पद छोड़कर भाग गए थे. सियासत से संन्यास लेने की सोच रहे थे तो उनके नेता मेरे पास आए थे सहायता के लिए. उस वक्त में अगर मैं नहीं सहायता करता तो कहां रहते नीतीश कुमार और कहां रहती जेडीयू. 

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