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90 साल बाद रक्षाबंधन पर अद्भुत संयोग, भद्रा काल में नहीं बांधे राखी, रक्षा बंधन पर 5 घंटे का विशेष मूहर्त..

संवाद 


सावन का पूरा महीना ही विशेष होता है, लेकिन सावन में पड़ने वाले सोमवार का खास महत्व होता है।
इस वर्ष सावन की शुरुआत शिवजी के प्रिय वार सोमवार के दिन से हुई है और इसकी समाप्ति भी सोमवार के दिन ही होगी। यानी सावन माह के पहले दिन पहला सावन सोमवार व्रत रखा गया और अंतिम दिन ही आखिरी सावन सोमवार व्रत रखा जाएगा, जोकि 19 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन सावन पूर्णिमा और रक्षाबंधन भी होगा। सावन के अंतिम या पांचवे सोमवार पर 19 अगस्त 2024 को सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग, रवि योग और श्रावण नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इन सभी योगों को बहुत ही शुभ माना जाता है। वहीं सावन के आखिरी दिन ही सोमवार पड़ने से इसकी महत्ता काफी बढ़ जाती है। ऐसा दुर्लभ संयोग पूरे 90 साल बाद बन रहा है, जिसका शुभ प्रभाव कई राशियों पर पड़ेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन चार अद्भुत संयोग बन रहे है।

वैदिक पंचांग के अनुसार 19 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा और रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है। रक्षासूत्र की डोर भाई बहन के रिश्ते को अटूट बना सकती है। इस बार रक्षाबंधन के दिन ग्रहों का ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है। करीब 90 साल बाद रक्षाबंधन के दिन 4 शुभ महासंयोग बन रहे हैं। ग्रह-नक्षत्रो का यह अद्भुत संयोग भाई बहन के रिश्ते को और मजबूत करेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन चार अद्भुत संयोग बन रहे है। वैदिक पंचांग के अनुसार 19 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा और रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है। इसके अलावा इस दिन सावन का अंतिम सोमवार भी है। ऐसे में यह दिन बेहद शुभ साबित होगा। रात 8 बजकर 40 मिनट तक रहेगा ये दो योग।

19 अगस्त को सुबह से लेकर रात 8 बजकर 40 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए सभी कार्यों में सिद्धियां प्राप्त होती है। ऐसे में इस समय में रक्षासूत्र बांधा जाए तो भाइयों पर आने वाली सभी बालाएं दूर होंगी और उन्हें आरोग्य होने का का वरदान भी मिलेगा,परंतु भद्रा रहने के कारण राखी नही बांध सकते हैं।

 *इस समय तक रहेगा पाताल लोक का भद्रा* 
पंडित शर्मा ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार 18 अगस्त को रात 2 बजकर 21 मिनट से भद्रा कि शुरूआत हो रही है जो अगले दिन 19 अगस्त को 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। यह भद्रा पाताल लोक का भद्रा होगा। भद्रा काल में रक्षा सूत्र बांधने शुभ नहीं माना जाता है, ऐसे में 19 अगस्त को दोपहर में 1 बजकर 32 मिनट के बाद रक्षासूत्र बांधा जाएगा।

 *राखी बांधने का शुभ समय* 
बाला जी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा के अनुसार 19 अगस्त सोमवार को 1.33 दोपहर से शाम 7 बजे तक विशेष मूहर्त 5 घंटे तक रहेगा इसके अलावा 1 बजकर 33 मिनट से लेकर शाम 9 बजकर 25 मिनट तक रक्षासूत्र बांधने का शुभ समय है। इस समय में रक्षासूत्र बांधने से भाइयों को दीर्घायु के आशीर्वाद के साथ ऐश्वर्य और सौभाग्य का वरदान भी मिलेगा।
जानिए रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का क्या है शुभ मुहूर्त, सब कन्फ्यूजन होगा दूर - Raksha Bandhan 2024
 रक्षा बंधन की टाइमिंग को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन है. ऐसे में हम आपकी इस समस्या को दूर कर देते हैं. साथ ही बताते हैं कि राखी बांधने समय किस मंत्र को पढ़ें.
रक्षाबंधन

 हिंदू धर्म में भाई बहन की प्रेम का सबसे बड़ा त्योहार रक्षाबंधन है, जो प्रतिवर्ष सावन के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. रक्षाबंधन के मौके पर राखी बांधने के मुहूर्त का सबसे अधिक महत्व होता है. बहन अपने भाइयों की कलाई पर शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधती हैं और राखी बांधने से पहले तक वह उपवास में रहती हैं. इस बार रक्षाबंधन 19 अगस्त को पड़ रहा है. कई लोग इस सोच में पड़े हुए हैं कि क्या रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया पड़ रहा है. ऐसे में जानते हैं कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है.

राखी बांधने का क्या है शुभ मुहूर्त ? : आचार्य रामशंकर दूबे बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार, भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किया जाता है. 18 अगस्त को दोपहर 2:45 पर भद्रा की शुरुआत हो रही है जो 19 अगस्त को दोपहर 1:25 पर समाप्त हो रही है. ऐसे में इसके बाद 1:30 से रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त शुरू हो रहा है जो 19 अगस्त को देर रात तक रहेगा.

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

''सावन माह की पूर्णिमा पर भद्रा का साया जरूर पड़ रहा है लेकिन इसका असर रक्षाबंधन पर नहीं पड़ेगा. दोपहर 1:25 से पहले रक्षाबंधन मानना अधिक शुभ नहीं है. ऐसे में बहनों को भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए दोपहर तक उपवास रखना पड़ेगा.''- आचार्य रामशंकर दूबे

पाताल लोक में हो रहा भद्रा का वास : आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि इस बार भद्रा का वास पाताल लोक में हो रहा है. इसलिए इसका धरती पर असर नहीं पड़ेगा. जब भद्रा का वास स्वर्ग लोक अथवा पाताल लोक में होता है तो इसका धरती पर असर अधिक नहीं होता है और यह अधिक अशुभ नहीं माना जाता है.

इस मंत्र को पढ़ें.

मंत्र के साथ राखी बांधने का महत्व : रक्षाबंधन के दिन रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र विशेष महत्व रखता है. यह मंत्र भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और उसकी रक्षा के लिए पढ़ा जाता है. ॐ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और अस्तित्व का प्रतीक है. येन बद्धो बलि राजा जिस मंत्र से महान बलि राजा बांधा गया था. दानवेन्द्रो महाबल जो दानवों का महान और शक्तिशाली राजा था. तेन त्वामभिबध्नामि उसी मंत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं. रक्षे मा चल मा चल हे रक्षा सूत्र, कभी भी अपने स्थान से मत हिलो, स्थिर रहो.

भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन : रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और रिश्तों की अहमियत का त्यौहार है. जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसे उसके कर्तव्यों की याद दिलाती हैं. रक्षाबंधन की तैयारी में बहनें विशेष रूप से सजी-धजी राखियां खरीदती हैं और भाई भी बहनों को राखी बंधवाने के बाद इस दिन को यादगार बनाने के लिए विशेष उपहार देते हैं.

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