बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शुक्रवार (02 अगस्त) को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस क्रम में उन्होंने बोला कि लोकसभा में मनोज झा ने नौवीं अनुसूची को लेकर जो प्रश्न संसद में किया था उसका जवाब आया है. बिहार में जातीय आधारित गणना करवाकर पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाया गया. इसे 65 प्रतिशत किया गया. ईडब्ल्यूएस का 10 प्रतिशत पहले की तरह रखा गया. हम लोगों को आशंका थी कि बीजेपी अड़ंगा लगाएगी. हमने बोला था कि तमिलनाडु के तर्ज पर बिहार के बढ़े आरक्षण को नौवी अनुसूची में डाला जाए. कोर्ट जाने की आशंका भी थी, इसलिए 9वीं अनुसूची में डालने की बात बोली थी.सरकार पर आक्रमण करते हुए तेजस्वी यादव ने बोला कि भरोसा नहीं है कि किस तरह ये लोग अपना पक्ष रख रहे हैं. बिहार व केंद्र सरकार नहीं चाहती कि संविधान की 9वीं अनुसूची में डाला जाए. तेजस्वी ने बोला, "ऐसा तो नहीं कि नीतीश जी ने बाद में 9वीं अनुसूची में डालने का प्रस्ताव वापस ले लिया है. सबों के मुंह में दही जमा है. कोई नहीं बोल रहा है.
सीएम नीतीश की केंद्र सरकार नहीं सुन रही है न बिहार में उनका कोई सुन रहा है.
"आगे पत्रकारों से तेजस्वी यादव ने बोला कि बढ़ाए गए आरक्षण के कोटे को 9वीं अनुसूची में डालने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, राज्य सरकार के पास नहीं. उन्होंने बोला कि हम लोग सड़क पर भी लड़ाई लड़ेंगे, कोर्ट का भी रुख करेंगे. सोमवार को हम लोग याचिका दाखिल करेंगे. जेडीयू की क्या प्रतिक्रिया है ये भी स्पष्ट होना चाहिए.तेजस्वी ने बोला कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा भी केंद्र सरकार नहीं दे रही है जबकि लोकसभा चुनाव में बिहार वासियों का वोट लिया गया. केंद्र में जेडीयू की अहम भूमिका है तब भी नीतीश कुमार की कोई नहीं सुन रहा. एससी-एसटी आरक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से हम सहमत नहीं हैं. आरजेडी भी इसको नहीं मानती है. अगर आर्थिक तौर पर इंसाफ दिलाना है तो सबको नौकरी दीजिए.