केंद्र सरकार के कैबिनेट में यह कहा जाना कि क्रीमी लेयर नहीं हो सकता है,
इस पर उन्होंने बोला कि क्रीमी लेयर और कोटे में कोटा दो अलग बातें हैं. चिराग पासवान के बिना नाम लिए कहीं ना कहीं जीतन राम मांझी पर कहा जाना की आज भी मंदिर जाने पर मंदिरों को धोया जाता है, जिसके जवाब में उन्होंने बोला कि यह सामाजिक बात है और यह दूसरी बात है, लेकिन बाबा साहब ने बोला था कि आरक्षण पर हर 10 वर्ष के बाद पुनर्विचार होना चाहिए. इस पर वह क्यों नहीं बोलते.एससी एसटी पर सुप्रीम कोर्ट के दिए गए निर्देश पर केंद्र सरकार ने बोला है कि कोई क्रीमी लेयर या कोटे में कोटा नहीं हो सकता है, जिस पर उन्होंने बोला कि क्रीमी लेयर और कोटा में कोटा दो बात है. हम भी मंत्रिमंडल में थे हमारी बातें भी हुई है, क्रीमी लेयर नहीं होना चाहिए या प्रधानमंत्री का फैसला सही है. शेड्यूल कास्ट के जो लोग हैं, उसमें क्रीमी लेयर करके जैसा कि ओबीसी में है वैसा नहीं होना चाहिए, लेकिन समाज में कुछ वैसे लोग हैं जो आज भी हाशिये पर हैं.76 वर्ष के बाद भी उनके लिए व्यवस्था होनी चाहिए. इसी के लिए बोला गया है कोटा में कोटा किया जाए. हमारा मानना है कि शेड्यूल कास्ट में बिहार में 21 जातियां हैं. आज देखा जाता है कि जज हो, कलेक्टर हो, इंजीनियर हो, बैंक में हो, रेलवे में हो सब में प्रेजेंटेशन की बात कही जाएगी तो चार जातियां वही 90% भाग लिए हुए हैं. जनसंख्या के आधार पर अति पिछड़ों और दलितों को आज तक आरक्षण नहीं मिला है. इसलिए हम लोगों की मांग है कि इनके लिए अलग बंदोोबस्त होनी चाहिए. क्रीमी लेयर की बात ना कीजिए, लेकिन जिसकी जितनी जनसंख्या है उनको उतना आरक्षण मिलना चाहिए.