उनके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए वक्फ बोर्ड की संपत्ति का उपयोग होगा.
अब हम आशा करते हैं बिहार सरकार की खींची गई इस लकीर को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार इस पर कार्य करेगी. वक्फ बोर्ड की संपत्ति अगर किसी ने अल्लाह के नाम पर दान दिया है तो वह अल्लाह के लिए है. जो जमीन दरगाह के लिए है. अल्लाह के इबादत के लिए है वह जमीन वक्फ बोर्ड की मानी जाती है. वक्फ बोर्ड की जमीन आम लोगों की सुविधा के लिए उपयोग हो यह हम सोचते हैं. बिहार में धार्मिक न्यास बोर्ड ने हिंदू देवी देवता का मंदिर और जो मठ की जमीन है, इसको भी लेकर राज्य सरकार ने मानक तय किया कि बिहार में महंत के नाम पर कोई भी जमीन नहीं होगी. बल्कि वह देवी देवता के नाम पर जमीन होगी और ऐसी चीज तय की जाएगी तो विवाद घटेगा. वहीं आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने वक़्फ बोर्ड के जमीन के सत्यापन वाले बिल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बोला कि केंद्र सरकार की निगाह कहीं और निशाना कहीं और है. किसी धर्म विशेष को टारगेट करना और किसी विवादित मुद्दों पर बहस करना अस्ल उद्देश्य है. असली मुद्दों पर जिक्र ना हो इसलिए सरकार इन मुद्दों पर बहस करती है. बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू और चंद्रबाबू नायूडू को बताना चाहिए की ये क्या हो रहा है? ये देश अपने नियम कानून से चलेगा. विपक्ष मजबूत है. आपको बता दें कि इस बिल के माध्यम से मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की उस शक्ति पर अंकुश लगाना चाहती है, जिसके तहत वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर सकता है. इस बिल के पास होने के बाद वक्फ बोर्ड के कई अधिकारों पर पाबंदी लग सकती है. बिल में वक्फ बोर्ड की शक्ति को कम करने की बात बोली गई है. इस वक्त देशभर में 28 राज्यों और केंद्र में 30 वक्फ बोर्ड कार्यरत हैं.