दरअसल चंपारण क्षेत्र से आने वाले युवा उद्यमी सह समाजिक कार्यकर्ता रूपेश पाण्डेय बिहारी अस्मिता की पहचान और सम्मान को देशभर पहुंचाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं.
बिहार के चंपारण से निकलकर महाराष्ट्र में अपना खुद का बिजनेस खड़ा कर कई लोगों को रोजगार देने वाले रूपेश पाण्डेय ने यह साबित किया है कि बिहार के लोग दूसरे प्रदेशों में जाकर वहां की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. रूपेश पाण्डेय का कहना है कि यह बिहार के युवाओं के मनः मष्तिष्क के अंदर विकसित बिहार का रोडमैप बनाने का अपना एक अलग ही लक्ष्य सृजित करने के अभियान में लगे हुए हैं.
'राजनीति में मार सकते हैं एंट्री'
रूपेश पाण्डेय का कहना है कि बिहार के विकास और युवाओं के उत्थान के लिए जल्द ही राजनीति में भी एंट्री मार सकते हैं. रूपेश के अनुसार बिहार विधानपरिषद के उपचुनाव में उनको उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा चल रही है. रूपेश पांडेय का कहना है कि बिहार विधान बिहार विधान परिषद में युवाओं की भागीदारी से ही नई नई योजनाओं का सृजन और उसपर क्रियान्वयन होगा. यदि युवा जनप्रतिनिधि कोई योजना और रोडमैप तैयार करेंगे तभी उसमें प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार और व्यवसाय के नए नए सुअवसर बन सकेंगे.
'कई सेक्टरों में किया है काम'
महाराष्ट्र में अपना बैंक चलाने वाले रूपेश पाण्डेय ने कहा कि हम बिहार विधान परिषद में पहुंचकर विकसित बिहार की रूपरेखा और अपने विकसित बिहार का रोडमैप दुनिया के पटल पर रखने को आतुर हैं. हमने बिहार से बाहर निकलकर कई सेक्टरों में रोजगार किया और आखिर में लोगों के लिए रोजगार सृजित किया तो हमको इस क्षेत्र की चुनौतियों और संभावनाओं के बारे में बेहतर तरीके से पता है .मैं बिहार के भविष्य का दर्पण एक अच्छी हालात में दुनिया के सामने प्रस्तुत करने को तैयार हूं और इस बात के लिए विधान परिषद से बेहतर जगह कोई और नहीं हो सकती. रूपेश पाण्डेय बिहार के उस चम्पारण क्षेत्र से आते हैं जहां से आकर महात्मा गांधी ने आज़ादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण और निर्णायक चम्पारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी.