अनुसूचित जाति में दलित और महादलित भी है.
उसको कुछ लोगों ने कोर्ट में चैलेंज भी किया था, जिसे कोर्ट ने अमान्य कर दिया था. अब उसी चीज को सुप्रीम कोर्ट ने फिर कह दिया है तो समझने वाली बात है कि नीतीश जी के नेतृत्व में जो सरकार ने आरक्षण का निर्णय किया था वह स्वागत करने योग्य है. रही बात अभी जेनरल फैसला नहीं है, कोई एक जज का मानना है. आगे जो निर्णय आएगा उस पर आगे चर्चा होगी."बता दें कि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय का विरोध किया, जिसमें राज्यों को 15 फीसद आरक्षण के एक हिस्से के लिए अनुसूचित जातियों के भीतर उप-समूह बनाने की अनुमति दी गई है. उन्होंने घोषणा की है कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इसके विरुद्ध अपील करेगी. चिराग पासवान ने बोला है कि एससी आरक्षण में क्रीमी लेयर को अनुमति नहीं दी जा सकती. एससी कोटे में उप-समूहों को अनुमति देने से सामाजिक रूप से हाशिए पर पड़े वर्ग के उत्थान का मकसद पूरा नहीं होगा, जो छुआछूत की प्रथा का शिकार रहा हैं.सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार (1 अगस्त 2024) को 6:1 बहुमत से निर्णय सुनाया था. इसमें उन्होंने बोला था कि राज्य इन समूहों में सबसे वंचित जातियों के लिए कोटा सुनिश्चित करने के लिए एससी और एसटी को और उप-वर्गीकृत कर सकते हैं. इस निर्णय का समर्थन करने वाले 6 में से 4 जजों ने अलग-अलग निर्णय लिखे, जिसमें क्रीमी लेयर को आरक्षण लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया गया.