जहानाबाद की किशोर न्याय परिषद ने जिले के एसपी अरविंद प्रताप सिंह पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. जहानाबाद के ओकरी थाने से संबंधित एक मामले में यह जुर्माना लगाया है. इसे 30 सितंबर 2024 तक जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पीड़ित क्षतिपूर्ति कोष में हर हाल में जमा करने का निर्देश दिया गया है. इतना ही नहीं परिषद ने ऐसा नहीं करने पर जहानाबाद के डीएम को आदेश दिया है कि वे पुलिस अधीक्षक के खाते से 10 हजार जिला विधिक सेवा प्राधिकार में 19 अक्टूबर तक जमा कराएं.दरअसल दो महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी ओकरी थाने का सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं कराया गया. थानाध्यक्ष, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी एवं विवेचना अधिकारी के विरुद्ध किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 के अंतर्गत उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई. बोर्ड ने बोला है कि ओकरी थानाध्यक्ष, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी और मामले के विवेचन अधिकारी के मोबाइल का सीडीआर भी आधा-अधूरा उपलब्ध कराया गया जो बोर्ड के निर्देश की अवमानना है.
बोर्ड ने इस आदेश की प्रति पुलिस महानिदेशक (बिहार) और मगध रेंज के पुलिस महानिरीक्षक को भी दिया है.
आदेश के अनुपालन के लिए इसकी प्रति जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक जहानाबाद को भी भेज दी गई है. 11 पन्नों के आदेश में बोर्ड ने बोला है कि यह एक विधि विवादित बच्चे के मानव अधिकार, मौलिक अधिकार और संवैधानिक अधिकार के हनन का गंभीर मामला है. बोर्ड ने पाया है कि किशोर को बिना गिरफ्तारी मेमो के थाने में रख कर पीटा गया और बुरी तरह प्रताड़ित किया गया.बोर्ड ने ऐसा पाया है कि पुलिस अधीक्षक ने निर्देश की अवहेलना जानबूझकर की है जिसके वजह से आज तक यह मामला बोर्ड में लंबित है. बोर्ड ने इस अनावश्यक विलंब के लिए पुलिस अधीक्षक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए 30 सितंबर तक मांई गई पूरी रिपोर्ट उपलब्ध कराने का अंतिम मौका दिया है.