आज तो वो कानून ही रद्द है.
तो सबसे पहले समझने की बात है. मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बोला कि जो जातीय गणना हुई उसमें जो आंकड़े आए उसके आधार पर पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित समाज के लोगों के लिए बिहार सरकार ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में आरक्षण की सीमा बढ़ाई. इसे सरकार ने लागू भी कर दिया. इससे लोगों को लाभ भी मिलने लगा. वहीं जिन लोगों को यह पसंद नहीं आया उन लोगों ने कोर्ट में इसके विरुद्ध याचिका लगाई. कोर्ट ने उस कानून को निरस्त कर दिया. इसका अर्थ होता है कि वह कानून ही रद्द हो गया. आज के वक्त में वो कानून रद्द किया जा चुका है.
विजय चौधरी ने बोला कि सरकार ने ईमानदारी से बढ़े हुए आरक्षण को लागू किया था इसलिए तत्काल उसी समय जो कानूनी विकल्प थे उसके हिसाब से सुप्रीम कोर्ट में अनुरोध की गई. हम लोगों का मानना है कि ये जो बढ़ा हुआ आरक्षण है उसके अनुकूल लोगों को लाभ मिलना चाहिए. बिहार सरकार इस आशा में है कि सुप्रीम कोर्ट इंसाफ करेगा. जब यह कानून फिर से बहाल हो जाएगा तो हम लोग नौवीं अनुसूची में सम्मिलित करने की बात करेंगे. आगे विजय चौधरी ने बोला कि जातीय गणना किसके नेतृत्व में हुई ये भी सभी लोग जान रहे हैं. सभी दलों की सहमति थी, लेकिन पहल और फैसला सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार ने की है. सबने विधानसभा में समर्थन किया था, लेकिन सोच तो नीतीश कुमार की थी. ये भी सब लोगों को स्वीकार करना चाहिए.
nitish kumar bihar