उनके नेतृत्व की यही खासियत है कि वह सबको सम्मान देते हैं.
सूचना आयुक्त की नियुक्ति को लेकर दिलीप जायसवाल ने बोला कि इस बैठक में तो नेता प्रतिपक्ष को बुलाया ही जाता है और उनको बुलाया गया. उनसे जिक्र की गई. आपस में तो दोनों नेता मिले भी नहीं हैं फिर मीडिया में क्यों जिक्र हो रही है? उन्होंने बोला कि यह सब काम करने का संवैधानिक तरीका है जिसमें नेता प्रतिपक्ष की जहां-जहां आवश्यकता होती है वहां-वहां उनको बुलाकर उनसे काम लिया जाता है.वहीं उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इस मुलाकात को सही ठहराया है. सम्राट चौधरी ने बोला, "स्वाभाविक है जाना ही चाहिए. सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए बैठक थी तो नेता प्रतिपक्ष को जाना ही चाहिए. अच्छी परंपरा है. जब विजय सिन्हा जी विरोधी दल के नेता थे तो वह भी सरकार की बैठक में गए थे. आज भी विरोधी दल के नेता गए हैं तो जाना चाहिए. इसमें कोई बात नहीं है."बता दें कि बीते मंगलवार को तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंचे थे और उन्होंने नीतीश कुमार से भेंट की थी. दोनों नेता लगभग 10 मिनट मिले होंगे. सूचना आयुक्त की नियुक्ति को लेकर यह मुलाकात हुई हो लेकिन कई तरह की जिक्र होने लगी है कि आठ महीने बाद चाचा-भतीजा फिर एक साथ मिले हैं तो क्या बिहार में फिर कुछ नया होने वाला है? हालांकि जितनी मुंह उतनी बातें हो रही हैं.