जमीन मालिकों के हित में ही सरकार इतना बड़ा कदम उठा रही है.
इसे सकारात्मक रूप में देखें और सर्वे की प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें. सरकार किसी की जमीन लेने नहीं जा रही है. सर्वे की प्रक्रिया में मात्र दस्तावेज का सृजन होता है. मतलब दो कागज बनते हैं. एक खतियान और एक नक्शा. इसके आधार पर हम अभी तत्काल किसी को उसकी जमीन से बेदखल नहीं करने जा रहे हैं. जमीन से बेदखल करने का और बाकी चीजों का उसका अलग तरीका है. सर्वेक्षण का इससे कोई लेना देना नहीं है.जय सिंह ने बोला कि बहुत लोग इसलिए संशय में हैं कि उनके पास पर्याप्त कागजात नहीं हैं. इसके लिए हम लोगों ने बार-बार बोला है कि पूरा कागज नहीं है तो आपकी जमीन होने का कुछ भी प्रमाण है उसको ही स्वघोषणा पत्र में लगाएं और सर्वे की प्रक्रिया में भाग ले. उन्होंने बोला कि अभी इस प्रक्रिया में तीन बार सुनवाई होनी है. शुरुआती दौर में कोई परेशानी होती भी है, आपके पास कोई पर्याप्त कागजात की कमी है या गलती से आपकी जमीन पर किसी दूसरे ने दावा कर दिया है तो ये सारी चीजें शुरुआत में ही खुल जाएंगी.राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव ने यह भी बोला कि अगर आप सर्वे के काम से संतुष्ट नहीं हैं तो आप दावा आपत्ति दे सकते हैं. उसकी सुनवाई होगी. इस सर्वे में कई तरीके की सुनवाई के मौके मिले हुए हैं. अगर कागजात नहीं है तो भी घबराना नहीं है. सरकार किसी की जमीन नहीं लेने जा रही है. उन्होंने बोला कि सर्वे का लक्ष्य यही है कि कैसे हम कागजातों को अपडेट करें.