ऐसे में प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कर दिया है कि जन सुराज अपने संविधान में यह प्रावधान जोड़ रहा है,
जिससे मतदाता अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को उनके कार्यकाल के आधे समय यानी ढाई साल के बाद हटाने का अधिकार रख सकेगी.प्रशांत किशोर ने 'राइट टू रिकॉल' के बारे में बोला कि हम जन सुराज के संविधान में यह बात जोड़ रहे हैं कि जो भी जनप्रतिनिधि जन सुराज से जीतता है लेकिन किसी कारणवश वह जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है तो जनता के पास यह विकल्प होगा कि जनता उसके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर सकती है. इसके तहत अगर एक निश्चित प्रतिशत मतदाता अपने प्रतिनिधि के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं तो जन सुराज उस प्रतिनिधि को त्यागपत्र देने पर मजबूर कर देगा. पीके ने बोला कि यह निश्चित प्रतिशत क्या होगा इस पर जन सुराज की संविधान सभा में अभी जिक्र चल रही है. दो अक्टूबर को जब पार्टी की घोषणा होगी तो इसे जन सुराज के प्रावधानों में जोड़ दिया जाएगा. हालांकि यह कानून देश में लागू नहीं है, लेकिन जन सुराज अपने सभी प्रतिनिधियों पर इसे अनिवार्य रूप से लागू करेगा. इससे जनता के प्रतिनिधियों की जवाबदेही और भी अधिक सुनिश्चित की जा सकेगी.