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जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत कब है? जानें नहाय खाय, पूजा मुहूर्त, व्रत नियम और पारण टाइम

 

MITHILA HINDI NEWS


सनातन धर्म में सभी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। वहीं जीवित्पुत्रिका व्रत संतान की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन के लिए रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से संतान को किसी भी प्रकार का रोग नहीं लगता और उनका जीवन स्वस्थ और सुखमय रहता है। यह व्रत माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए रखती हैं। यह व्रत खासकर माताओं की आस्था और भक्ति का प्रतीक है। पंचांग के अनुसार यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। अब ऐसे में इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत कब रखा जाएगा, पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।


जीवित्पुत्रिका व्रत कब रखा जाएगा?

जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, जितिया का व्रत हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस साल अष्टमी तिथि की शुरुआत मंगलवार 24 सितम्बर 2024 को 12 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी और अष्टमी तिथि समापन बुधवार 25 सितंबर 2024 दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगा. उदया तिथि के आधार पर जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर बुधवार को रखा जाएगा. 25 सितंबर 2024 को जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक है और सोमवार 24 सितंबर 2024 को जितिया व्रत के नहाय-खाय की पूजा होगी.

जितिया व्रत पूजा विधि (Jitiya Vrat Puja Vidhi)

जितिया व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि कार्य करने के बाद सूर्य देव की पूजा करें. इसके बाद घर के मंदिर में एक चौकी रखें. उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं उसके बाद कपड़े के ऊपर थाली रखें. थाली में सूर्य नारायण की मूर्ति को स्थापित करें और उन्हें दूध से स्नान कराएं. भगवान को दीपक और धूप अर्पित करें. उसके बाद भोग लगाकर आरती करें. इसके बाद मिट्टी या गाय के गोबर से सियार व चील की मूर्ति बनाएं. कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा की पूजा करें. उन्हें धूप-दीप, फूल और चावल अर्पित करें. जितिया व्रत की कथा सुनें.

जितिया व्रत करने के लिए पूजन समाग्री

जितिया व्रत करने के लिए आपको निचे दी गई पूजन समाग्री जो बताया गया है वह इक्कठा करना होगा.

  • कुश से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति
  • मिट्टी से चील और सियारिन की मूर्ति
  • अक्षत (चावल)
  • मीठा
  • फल
  • धुप
  • दीप
  • घी
  • सिंगार का समग्री
  • दूर्वा की माला
  • इलाइची
  • पान
  • सिंदूर
  • सरसों का तेल
  • फूल
  • बांस के पत्ते
  • लौंग
  • गाँठ का धागा
  • गाय का गोबर
  • जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत कथा |

    जो भी स्त्री जितिया व्रत करती उस दिन नहाकर जीमूत वाहन भगवान की पूजा करते है उसके बाद जितिया कथा सनते है अगर आप जितिया व्रत करती है और आप जितिया कथा सुनना चाहती है तो हमने निचे एक जितिया कथा लिखा है.

    परम्परिक कथा के अनुसार यह एक जितिया कथा है एक गाँव नदी के कनारे था उस गाव के पश्चिम दिशा में एक बरगद का पेड़ था. उस पेड़ पर एक चिल रहती थी उसी पेड़ के निचे एक सियारिन रहती थी.

    चिल और सियारिन में बहुत ही गहरी दोस्ती हो गई थी. एक दिन दोनों सहेलियों ने दो औरत को जितिया व्रत करते हुवे देखा तो दोनों सहेलियों ने निश्चय कर लिया की हम भी जितिया व्रत करेंगें.

    चिल और सियारिन ने जितिया व्रत का उपवास रखा उसी दिन एक गावं का आदमी मर गया था जिसका अंतिम संस्कार उस बरगद के पेड़ के कुछ दुरी हुई. उसी रात जोड़ो से बारिश होने लगी तब सियारिन ने उस मुर्दा को देख लालच आ गया.

    सियारिन उसी रात उस मुर्दा को खाने लगी और चिल बरगद के पेड़ पर बैठी रही वह कुछ नही खायी. चिल ने अपना जितिया व्रत नही तोडा और सियारिन ने जितिया व्रत तोड़ दिया

    फिर अगले जन्म में चिल और सियारिन एक ब्राह्मण के दो बेटियों के रूप में जन्म लिया चिल बड़ी बेटी हुई जिसका नाम शीलवती रखा गया . सियारिन छोटी बेटी हुई जिसका नाम कपुरावती रखा गया.

    शीलवती और कपुरावती की ब्राह्मण ने अच्छे घर में शादी कर दी. शीलवती को 7 पुत्र हुवे और कपुरावती को जितना भी बच्चा हो रहा था वह मर जाते थे. कपुरावती को शीलवती के बच्चे को देख कर जलन होने लगी उसने उसके बच्चे के सिर को काट दिया मार दिया.

    तब ही जिवितवाहन देवता ने उस सात बेटो क सिर को जोड़ जिन्दा कर दिए. सुबह हुई तो सातों बेटे शीलवती के काम कर रहे थे जिसे देख कर उसकी छोटी बहन कपुरावती बेहोश हो गई.

    तब उसकी बड़ी बहन शीलवती अपनी छोटी बहन कपुरावती से बताया की अगले जन्म में तुमने जितिया व्रत तोड़ दिया था इसलिए तुम्हारा बच्चा मर जाते थे. यह सब सुनकर कपुरावती वही मर गई जिसका अंतिम संस्कार उस बरगद के पेड़ के पास कर दिया गया.

    है जीवित वाहन जिस तरह से आपने शीलवती के बच्चे की जान की रक्षा की वेसे ही आप सभी के बच्चे की जान की रक्षा करना.

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