हमने अपने विभाग के सभी सीओ को पटना बुलाया था.
सबको हिदायत दी कि अपनी आदत में सुधार लाएं नहीं तो दिलीप जायसवाल किसी को छोड़ने वाला नहीं है."इससे पहले बीते शुक्रवार (20 सितंबर) को दिलीप जायसवाल सहरसा पहुंचे थे. उन्होंने पीएम विश्वकर्मा योजना के एक वर्ष पूरा होने पर यहां के राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज में प्रथम वर्षगांठ में शिरकत की थी. इस क्रम में भी उन्होंने जमीन सर्वे को लेकर पत्रकारों से कई सारी जानकारी को साझा किया था. बोला कि 1890 में अंग्रेजों के समय में सर्वे की शुरुआत हुई थी. करीब 130 वर्ष के बाद रिवीजनल सर्वे बीच में हुआ, लेकिन अब सरकार ने विशेष सर्वेक्षण का अभियान सरकार ने शुरू किया है.दिलीप जायसवाल ने बोला कि अब जब सर्वे की शुरुआत हुई है तो 62 प्रतिशत लोगों के पास कागजात हैं, 38 प्रतिशत लोगों को वंशावली की आवश्यकता है, खतियान की आवश्यकता है और आपस में बंटवारे की आवश्यकता है. उन लोगों को थोड़ा सा कागजात ढूंढने में, कागजात निकालने में परेशानी हो रही है. सर्वे हो जाने के बाद बिहार के अंदर जमीन का भविष्य तय हो जाएगा.आगे उन्होंने बोला कि आज थाने में 60 प्रतिशत मामले जमीन से जुड़े हुए हैं. जमीन को लेकर विवाद, कत्ल, मारपीट और विभिन्न तरह की घटना होती है. जमीन सर्वे से इसकी संख्या कम हो जाएगी. उन्होंने बोला कि जब सर्वे हो जाएगा और सब कुछ डिजिटल हो जाएगा तो कोई परेशानी नहीं होगी.दिलीप जायसवाल ने बोला कि सर्वे शुरू हुआ तो दो लोगों को ज्यादा परेशानी हुई है. एक जमीन माफिया जो किसी की जमीन किसी के नाम पर रजिस्ट्री करवा देते थे. दूसरे वो जो सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किए हुए हैं. अब उनको लगता है कि सर्वे होने पर राज खुल जाएगा.यह भी बोला कि, "सामान्य लोगों को भी सर्वे में परेशानी हो रही है क्योंकि राजस्व विभाग के कर्मी और सर्वे के अमीन जिस तरह से सहायता करनी चाहिए वो नहीं कर पा रहे हैं इसलिए अपने आईएएस ऑफिसर को भेजकर गांव में पता लगवाया कि जनता को क्या-क्या परेशानी हो रही है. पता चला कि जनता को कागजात और सूचना निकालने में राजस्व विभाग के कार्यालय में परेशानी हो रही है. हमने विचार किया है कि जनता को तीन महीने का वक्त देंगे."