इस तरह अब यह तय सा हो गया है कि
बिहार में 65 प्रतिशत बढ़ाए गए आरक्षण पर रोक के मामले में जो लकीर है उसके एक ओर राजद है तो दूसरी तरफ भाजपा और जदयू!"अपने पोस्ट में ही आगे इसराइल मंसूरी ने लिखा, "जब तक नीतीश जी राजद के साथ थे, तब तक वह आरक्षण के पक्ष में जरूर थे क्योंकि उन पर राजद का दमदार प्रेशर था, लेकिन भाजपा की गोद में बैठते ही नीतीश जी मोदी-शाह को खुश करने के लिए जी हुजूरी करने की भूमिका में आ चुके हैं! पटना हाई कोर्ट में जब बढ़े हुए आरक्षण पर रोक लगाने की याचिका पर बहस हुई तो निश्चित तौर पर राज्य सरकार ने भाजपा को खुश करने के लिए अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा! परिणाम यह हुआ कि पटना हाई कोर्ट ने आरक्षण संशोधन कानून पर रोक लगाने का निर्णय सुना दिया!" आरजेडी विधायक ने बोला कि अब बिहार और देश के नागरिक आश्वस्त हो चुके हैं कि दलितों, पिछड़ों व आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ने वाला अगर कोई योद्धा है तो वह तेजस्वी यादव हैं, कोई और नहीं. राष्ट्रीय जनता दल आरक्षण के मुद्दे को सड़क, सदन और अदालत तीनों मैदानों में लड़ेगा और जीतेगा. मतलब स्प्ष्ट है कि आरक्षण पर दोमुंही सियासत करने वाली बीजेपी और बीजेपी की जी हुजूरी करने वाली जेडीयू जनता की नजरों में बेनकाब हो चुकी है.