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बिहार में 'बड़े भाई' की लड़ाई! JDU ने बोला- CM नीतीश का विकल्प नहीं, BJP ने भी दे दिया जवाब


संवाद 


बिहार में जुबानी जंग शुरू हो गई है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी में कौन बड़े भाई की भूमिका में रहेगा. बता दे कि जेडीयू का दावा है कि नीतीश कुमार का कोई विकल्प नहीं है. जेडीयू ही 2025 के चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में रहेगी. इसके पीछे लोकसभा चुनाव के परिणामों का हवाला भी दिया जा रहा है. इस पूरे मामले पर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) से एबीपी न्यूज़ ने बुधवार (18 सितंबर) को बातचीत की.इस प्रश्न पर कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए में बड़े भाई की भूमिका में जेडीयू या फिर बीजेपी रहेगी? 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 17 और जेडीयू 16 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. 

2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए में बीजेपी के सबसे ज्यादा विधायक जीते थे.

 इस पर उमेश कुशवाहा ने बोला कि अभी जो लोकसभा चुनाव का नतीजा आया है उसमें विधानसभा का जो आंकड़ा निकला है उसमें 243 विधानसभा सीटों में एनडीए 177 सीटों पर आगे रहा. 177 सीटों में 74 सीटों पर जेडीयू, 68 पर बीजेपी, 29 पर चिराग पासवान की पार्टी और छह सीटों पर मांझी की पार्टी आगे रही.उमेश कुशवाहा ने बोला इसके अनुसार देखा जाए तो सबसे ज्यादा विधानसभा सीटों पर जेडीयू ही आगे रही है. तेजस्वी यादव हमारे नेता नीतीश कुमार पर प्रश्न उठा रहे थे. उनकी पार्टी सिर्फ 35 विधानसभा सीटों पर आगे रही. लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए का बेहतर प्रदर्शन रहा. नीतीश कुमार का ना कोई विकल्प था न है और न होगा. नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेगा. यहां एनडीए के नेता वही हैं. सीट शेयरिंग, बड़ा भाई-छोटा भाई की भूमिका ये सब तो बैठक में जिक्र होती है.उधर बीजेपी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दे दी है. बिहार जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा के बयान पर बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने बोला कि न कोई बड़ा भाई होता है न छोटा भाई. भाई भाई होता है. बीजेपी-जेडीयू मिलकर लड़ेगी और जीतेगी. केंद्र में नरेंद्र मोदी चेहरा हैं. बिहार में नीतीश कुमार हैं.बता दें कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए में जेडीयू 122 और बीजेपी 121 सीटों पर लड़ी थी. बीजेपी ने अपने कोटे से 11 सीटें मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को दी थी. वहीं जेडीयू ने अपने कोटे से सात सीटें जीतन मांझी की पार्टी को दी थी. इस बार देखना होगा कि सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या कुछ होता है.


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