मैं क्या उनकी बात करूं?
वो तो रणनीतिकार हैं. हमारे यहां सब जगह पर सभी पार्टियां जो हैं वो रणनीतिकार, प्रचार करने वाला, पोस्टर बैनर लगाने वाले का सहयोग लेती है. नारा लिखने वाले का सहयोग लेती है. सब पार्टियां लेती हैं. हम लोगों ने भी पहले लिया है."पत्रकारों के इस प्रश्न पर कि सियासत में प्रशांत किशोर के आने से प्रभाव पड़ेगा? इस पर मनीष वर्मा ने जवाब देते हुए बोला कि निर्णय तो जनता को लेना है. पहले उनका (पीके) काम क्या था? टीवी में एड देना, सोशल मीडिया पर एड देना, सब जगह प्रचार करना, यही उनका काम था. पार्टी (जेडीयू) में उनको रखा गया था, लेकिन वो रहे कहां? जब उनकी कोई अपनी विचारधारा नहीं है तो जिस जगह मौका मिला उसी जगह जुड़ गए. जहां-जहां पार्टियां जीतने वाली थीं वहां-वहां चिपक गए और अपना नाम कमा लिया.वहीं दूसरी तरफ वक्फ बोर्ड पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी. मनीष वर्मा ने बोला कि बिना अल्पसंख्यक समाज के सहमति और सुझाव के बिल पारित नहीं होगा. विपक्ष भ्रामक प्रचार कर रहा है. बिल को जेपीसी में भेजा गया है. विचार-विमर्श के बाद लागू होगा. जेडीयू अल्पसंख्यक समाज के हितों के विरुद्ध कोई कार्य नहीं करेगी. अल्पसंख्यक समाज को घबराने की आवश्यकता नहीं है.