जितना नीतीश सरकार ने मांगा उससे अधिक बिहार को दिया."
आगे तेजस्वी ने बोला, "नीतीश सरकार ने उसी अनाज को बचाकर रखा और 2010 के चुनावों से पूर्व गरीब जनता में यूपीए सरकार का दिया हुआ अनाज यह कर बांटा कि नीतीश सरकार यह अनाज दे रही है और चुनावों में इसका फायदा उठाया. केंद्र और बिहार की एनडीए सरकारें उत्तर बिहार के लोगों की जान और माल की कीमत बस चंद किलो अनाज से आंकती हैं. बारंबार तटबंध और बांध क्यों टूटते हैं इसका कारण भी सरकार को बताना होगा."तेजस्वी यादव ने पोस्ट के माध्यम से कहा कि उस शमय तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव ने बाढ़ पीड़ितों के लिए मुफ्त रेल चलाई और साथ ही 90 करोड़ की सहायता राशि भी रेल मंत्रालय से दिलाई. उन्होंने एक लाख साड़ी-धोती बंटवाई. कोसी क्षेत्र में रेलवे प्लेटफॉर्म पर रेल के डिब्बों में बाढ़ राहत शिविर लगवाए. उन्होंने अपने एक महीने की सैलरी, केबीसी में जीते हुए एक करोड़ रुपये, रेल मंत्रालय के सभी कर्मचारियों की एक दिन की सैलरी, आईआरसीटीसी, रेलवे ईस्ट जोन, वेस्ट जोन इत्यादि से भी सहायता राशि बिहार को दी. 2004 से 2009 क लालू यादव में बिहार को एक लाख 44 हजार करोड़ की वित्तीय पैकेज दिलाया था, लेकिन उससे चेहरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चमकाया.तेजस्वी ने बोला कि उस समय यूपीए के बिहार से 29 सांसद थे जबकि अब एनडीए के 30 सांसद हैं. एनडीए के 30 सांसद, बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्र में बिहार से एनडीए के सात केंद्रीय मंत्री कितने बेबस, लाचार और असहाय हैं कि इनके सहारे चल रही केंद्र सरकार से बिहार की विनाशकारी बाढ़ को ना आपदा घोषित करा सकते हैं ना ही विशेष सहायता राशि की मांग सकते हैं. आज बीजेपी के किसी भी केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री को बिहार नजर नहीं आ रहा है? नीतीश कुमार बिहार की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित कराने एवं सहायता राशि की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से क्यों नहीं मिलते? और बता दे कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री से मिलने में क्यों हिचकते हैं?