लालू-नीतीश और मांझी सभी जाति की राजनीति नहीं करते हैं.
अगर लालू यादव जाति की सियासत करते तो यह बोलते कि यादव समाज का कोई काबिल आदमी आरजेडी का नेता बनेगा.आगे प्रशांत किशोर ने बोला कि जीतन राम मांझी मुसहर समाज की बात नहीं कर रहे कि हमारी पार्टी में मांझी समाज का कोई नेता होगा. वे तो यह बोल रहे हैं कि मैं मंत्री बन गया, मेरा लड़का मंत्री बन गया, अब मेरी बहू को भी विधायक बनाओ. वह किसी मांझी समाज के बच्चे को स्वीकार नहीं करेंगे. लालू और मांझी अकेले नहीं हैं, बिहार में जो नेता है वो अपनी और अपने बच्चे की बात कर रहा है. जाति में हमलोग उलझे हुए हैं.चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बोला, "जन सुराज ने दो सालों में कहीं भी जाति पर वोट मांगा हो बताइए? या किसी के विरुद्ध धरना प्रदर्शन आंदोलन किया हो? हमने तो बिहार की सियासत की धुरी को बदलकर पढ़ाई और पलायन रोकने के लिए बोला है. मंच से मैं वोट न मांग रहा हूं न यह बोल रहा हूं कि किसको वोट दो. वोट देना आपका फैसला है."दूसरी तरफ झारखंड चुनाव पर पीके ने बोला कि हमारा पूरा फोकस बिहार में है. आने वाले कई सालों तक कम से कम 8 से 10 सालों तक बिहार पर फोकस है. बिहार की व्यवस्था को सुधारना है. 10 अग्रणी राज्य में बिहार कैसे सम्मिलित हो, यहां सत्ता और व्यवस्था का बदलाव कैसे हो, इस पर फोकस है.