सोसाइटी पर घालमेल करने का आरोप टेंडर में सम्मिलित साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड ने लगाया है. कंपनी ने अपने खत में लिखा है कि अधिकारियों ने जान बूझकर उसके बिड को निरस्त कर दिया. फर्म ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिकायत के साथ ही पूरी टेंडर प्रक्रिया की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है. साथ ही फर्म ने न्यायालय में याचिका भी दायर कर दिया है.
इस मामले के बारे में बताया जाता है कि बिहार हेल्थ सोसाइटी ने हब एंड स्पोक मॉडल पर डायग्नोस्टिक हेल्थ सर्विसेज के लिए टेंडर निकाला था.
इस टेंडर में 7 फर्मों ने भाग लिया था.
इन सभी फर्मों को 21 अक्टूबर को टेक्निकल रूप से कामयाब घोषित किया गया था. इसके बाद इन फर्म की वित्तीय निविदा खोली गई. साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड का दावा है कि उसका बिड सबसे अधिक डिस्काउंट (77.06%) पर था. इसके बाद भी 30 अक्टूबर को दूसरे फर्म को टेंडर दे दिया गया. साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड ने मुख्यमंत्री के लिखे खत में दर्शाया है कि ‘हमने इसकी शिकायत की तो अधिकारियों ने बोला कि हमारी फर्म की तरफ से अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग दरें लिखी गई थीं, जिस पर दो फर्म ने आपत्ति की थी.’ साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड का कहना है कि हमने कोई गलती नहीं की है, हमारी बिड को जानबूझकर निरस्त किया गया है. कंपनी का इल्जाम है कि बिड निरस्त करने से पहले हमसे स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा गया.स्टेट हेल्थ सोसाइटी पर इस तरह का इल्जाम कोई नई बात नहीं है. पहले भी कई बार विपक्ष के कई नेताओं ने स्वास्थ्य विभाग की टेंडर प्रक्रिया पर धांधली का इल्जाम लगाया है. इससे पहले बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने एंबुलेंस के लिए एक टेंडर निकला था जो विवादों में घिर गया था. इस टेंडर में एक फर्म को नियमों के खिलाफ योग्य घोषित कर दिया गया था. बाद में मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए निरस्त कर दिया और बाकी सभी फर्मों की निविदाओं का पुनर्मूल्यांकन करने का निर्देश दिया था. बता दें कि कंपनी का इल्जाम अगर सही है तो निश्चित तौर पर समिति की इस धांधली से बिहार के राजस्व को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.