भ्रातृ द्वितीया (भाई दूज) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यह दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना जी ने अपने भाई यमराज को अपने घर पर सत्कार-पूर्वक भोजन कराया था. बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. बहन यमुना ने अपने भाई को घर बुला कर इस दिन तिलक लगाया और तरह-तरह का भोजन कराया. यमराज ने चलते वक्त बहन यमुना से मनोवांछित वरदान मांगने को कहा. यमुना ने कहा कि यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रत्येक वर्ष आप मेरे यहां आएंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे. यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया. तभी से इस दिन भाई दूज के नाम से मनाया जाता है.
भाई दूज का पर्व बहन और भाई के प्रति विश्वास और प्रेम का होता है। इस साल भाई दूज का पर्व किस दिन मनाया जाएगा इस बात को लेकर लोगों के बीच, थोड़ी दुविधा है।
स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर के पुजारी पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि इस बार कार्तिक मास द्वितीया तिथि का आरंभ 2 नवंबर को रात 07:09 बजे के उपरान्त हो जाएगा और कार्तिक द्वितीया तिथि 3 नवंबर रविवार को रात में 08:32 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 3 नवंबर को भाई दूज(भातृ द्वितीया )का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सुबह में 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा। इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। इसलिए भाई दूज के दिन पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त प्रातः 06:29 से दिन के 10:37 तक रहेगा, इसके उपरान्त दिन के 01:23 से संध्या 05:30 तक शुभ रहेगा ।