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'महिला संवाद यात्रा' के पीछे क्या है CM नीतीश कुमार का उदेश्य? जानें एजेंडा


संवाद 

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 'महिला संवाद यात्रा' प्रोग्राम पर निकलने वाले हैं. बीते मंगलवार (19 नवंबर) को हुई कैबिनेट में सवा दो सौ करोड़ की राशि की मंजूरी मिली. इसके साथ ही तय हुआ कि नीतीश कुमार 'महिला संवाद यात्रा' करेंगे. चुनाव से पहले सीएम नीतीश का यात्रा पर निकलना कोई नई बात नहीं है. 2005 से वे निरंतर बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं. अब तक 14 यात्रा कर चुके हैं. 'महिला संवाद' उनकी 15वीं यात्रा होगी. इस प्रोग्राम के माध्यम से वह जिलों में जाकर महिलाओं से रूबरू होंगे. उनकी समस्या को जानेंगे. वहीं सरकार की तरफ से महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजना के बारे में समीक्षा करेंगे. समझिए उस यात्रा के पीछे क्या कुछ उदेश्य है.नीतीश कुमार अपने शासनकाल में अब तक 14 बार यात्रा पर निकले हैं. कभी फायदा तो कभी नुकसान हुआ है. 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने 9 जनवरी को विकास यात्रा निकाली थी. पूरे बिहार का भ्रमण किया था. 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कामयाबी हाथ लगी थी. 
2010 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 28 अप्रैल 2010 से 'विश्वास यात्रा' शुरू की थी और उसका जोरदार फायदा हुआ था. 2010 में एनडीए को बिहार में 206 सीट आई थी. अकेले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी को 115 सीट आई थी. सर्वे में यह पता चला था कि महिलाओं ने नीतीश कुमार को बढ़-चढ़कर वोट किया है.हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने 'संकल्प यात्रा' की शुरुआत की थी लेकिन जेडीयू को करारी हार मिली. पार्टी ने मात्र दो सीटों पर जीत दर्ज की थी.

 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ चुनाव लड़ा था. 

इस चुनाव से पहले वे 'संपर्क यात्रा' पर निकले थे. हालांकि बहुत लाभ नहीं हुआ था. 2010 से कम सीटों पर जीत मिली थी. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने 03 दिसंबर 2019 को जल-जीवन-हरियाली यात्रा निकाली थी, लेकिन खास फायदा नहीं हुआ. चिराग पासवान के वजह से उन्हें मात्र 43 सीट मिली थी. हालांकि मुख्यमंत्री वही बने रहे.
अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यात्रा पर निकलने वाले हैं. कहीं न कहीं अपने कोर वोटर्स यानी महिला वोटर्स को बचाने का प्रयत्न करेंगे. बिहार के राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार बोलते हैं कि निश्चित तौर पर नीतीश कुमार का वोट बैंक आज भी महिलाएं ही हैं. कुछ वर्षों से थोड़ा-बहुत महिला वोटरों में बिखराव हुआ है. 
संतोष कुमार ने बोला कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने शासनकाल में महिलाओं के लिए कई योजना चलाई है. महिलाओं के बोलने पर उन्होंने बिहार में शराबबंदी लागू की. उन्होंने बताया कि 2010 और 2015 के चुनाव में पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित या अपर कास्ट, जो भी हो, सभी जातियों से महिलाएं नीतीश कुमार की वोटर रही हैं. वे नीतीश कुमार के कामों को पसंद करती रही हैं, लेकिन 2020 के चुनाव से कुछ बिखराव हुआ है. 2020 में चिराग पासवान ने अपर कास्ट का वोट भी काटा था. इसमें महिलाओं का भी वोट मिला था. 
आने वाले वक्त में बिहार में विधानसभा का चुनाव है. इससे पहले एक बार फिर सीएम यात्रा पर निकलने वाले हैं. ऐसे में 2025 पर कितना प्रभाव पड़ेगा? इस पर संतोष कुमार बोलते हैं कि 2025 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर भी हैं. नीतीश कुमार के साथ रहने वाले आरपी सिंह भी हैं जो उनके वोट बैंक को खराब कर सकते हैं. अगर ये लोग कुछ भी वोट काटेंगे तो सीधा नुकसान नीतीश कुमार को होगा. इसलिए नीतीश कुमार ने महिलाओं को सीधे संपर्क में लाने के लिए यह योजना बनाई है. निश्चित तौर पर जब महिलाओं के बीच नीतीश कुमार जाएंगे तो अपने किए हुए कार्यों को बताएंगे. वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार ने बोला कि बेलागंज में हुए उपचुनाव के बाद जो सर्वे में आ रहा है उसके अनुसार या तिरहुत में जो स्नातक चुनाव होने वाला है उसको लेकर यह बात सामने आ रही है कि अपर कास्ट का वोट नीतीश कुमार के हाथों से फिसल रहा है. ऐसे में जो उनका कोर वोट बैंक (महिलाएं) है उसमें बिखराव नहीं हो इसकी तैयारी नीतीश कुमार कर रहे हैं. महिला वोटर्स में बिखराव नहीं होता है तो उन्हें (नीतीश कुमार) कोई नहीं हरा सकता है. यही कारण है कि नीतीश कुमार को सीट चाहे जितनी भी आए, लेकिन आरजेडी या बीजेपी उन्हें छोड़ना नहीं चाहती है.

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