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NDA से अलग हो जाएंगे पशुपति पारस? RLJP की बैठक में हो गया निर्णय


संवाद 


पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Pashupati paras) की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का कार्यालय तो भवन निर्माण विभाग ने ले लिया और उसे चिराग पासवान की पार्टी को दे दिया गया. बता दे कि अब पशुपति पारस अपने घर से ही पार्टी चल रहे हैं और इसी कड़ी में बीते 19 नवंबर और आज 20 नवंबर को दो दिवसीय प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक की. इस बैठक में कई पार्टी के कई वरिष्ठ नेता सम्मिलित हुए और सभी लोगों ने अपनी अपनी राय रखी.इस पूरी बैठक में एक ही जिक्र हुई कि क्या एनडीए में साथ रहेंगे या नहीं रहेंगे. दो दिनों की बैठक तो खत्म हो गई है, लेकिन अभी तक मीडिया कर्मियों को इस पर खुलकर नहीं बताया जा रहा है. पशुपति पारस सहित पूर्व सांसद प्रिंस राज ,पूर्व सांसद सूरजभान सिंह कई कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे, लेकिन बैठक समाप्त होने के बाद किसी ने भी मीडिया से बात नहीं किया.राष्ट्रीय प्रवक्ता सरवन अग्रवाल ने बोला कि बैठक में यह फैसला लिया गया है कि हम लोग आगामी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी 243 सीटों पर पुरजोर मेहनत करेंगे और अपनी तैयारी करेंगे.

 हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष पारस खुद पंचायत स्तर तक घूम-घूम कर जनता से मिलेंगे,

 लेकिन अकेले रहेंगे या किसी गठबंधन के साथ रहेंगे, इस पर उन्होंने बोला कि यह अभी तक फैसला नहीं लिया गया है. इसके बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष ही बताएंगे.अब प्रश्न उठ रहा है कि आखिर पार्टी कार्यालय से बाहर हो जाने के 5 दिन बाद दो दिवसीय बैठक का क्या कारण रही? पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि पशुपति पारस कार्यकर्ताओं को बुलाकर यह जानना चाह रहे थे कि कौन हमारे साथ रह सकता है और कौन चिराग पासवान के साथ जा सकता है. हालांकि अधिकांश कार्यकर्ताओं ने एक सुर में बोला कि हम आपके साथ हैं, आप अकेले चुनाव लड़िए.कुछ कार्यकर्ताओं ने तो चिराग पासवान पर ताना भी कसा है, लेकिन पशुपति पारस बिहार की सियासत में काफी मंझे हुए खिलाड़ी हैं और वह जानते हैं कि जब चुनाव नजदीक आने पर कौन किधर जा सकता है और इसी को देखने के लिए वह इस बैठक में सभी कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए हैं.
बहरहाल अभी तक पार्टी ने यह फैसला नहीं लिया है कि एनडीए के साथ रहेंगे या नहीं. हालांकि वर्तमान समय में यह दिख रहा है कि एनडीए की तरफ से पशुपति पारस की पार्टी को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है. कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक की थी, लेकिन पशुपति पारस की पार्टी को आमंत्रित नहीं किया गया था. उसके बाद अब उनकी पार्टी कार्यालय को खाली करा दिया गया. यह सब बातें बैठक में जिक्र तो हुई, लेकिन अंतिम फैसले को अभी भी पशुपति पारस लॉक करके रखे हुए हैं. 

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