जिला पुलिस के सूत्रों ने बताया कि कुल 943 मामलों में जांच अधर में लटकी हुई है,
क्योंकि तत्कालीन जांच अधिकारियों का तबादला हो गया और उन्होंने फाइल जिम्मेदारी संभालने वाले कर्मियों को नहीं सौंपी.सूत्रों ने बताया कि जिन पुलिसकर्मियों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(5) (लोक सेवकों द्वारा आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज किया गया है, उन्होंने ‘‘पांच से 10 वर्ष पहले’’ अपना नया कार्यभार संभाला था. उन्होंने बोला कि ऐसे पुलिसकर्मियों की सबसे अधिक संख्या नगर थाना (54) में थी, उसके बाद ब्रह्मपुरा (27), सदर (21), काजी मोहम्मदपुर (11) और अहियापुर (छह) का स्थान है. सूत्रों ने दावा किया कि ये पुलिसकर्मी, जिनमें से कई अब दूसरे जिलों में तैनात हैं, मुजफ्फरपुर पुलिस के बार-बार लिखित अनुरोध के बावजूद फाइल वापस करने में विफल रहे.पिछले दिनों लंबित केसों की समीक्षा के क्रम में ये मामले सामने आए हैं. जिसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के आदेश पर विभिन्न थानों में मामले दर्ज किए गए हैं. दोषी सभी केस के आईओ का दूसरे थानों में तबादला हो गया है. वे अपने साथ 943 आपराधिक वारदातों की जांच फाइल भी ले गए. जिसकी वजह से 5 से 10 वर्षों से सैकड़ों केस पेंडिंग पड़े हुए हैं और पीड़ित इंसाफ के लिए भाग-दौड़कर थक-हार चुके हैं और अपने घर बैठ चुके हैं.