ऐसे में राहत देने का निर्णय लिया गया है.
"उन्होंने बताया, "ऐसे लोग बिहार में जो करीब 50 साल से अधिक से किसी जमीन पर अपना घर बनाकर रह रहे हैं और शांतिपूर्वक दखल उनके पास है तो उनको राहत दी गई है कि अब आपको यह बताने की जरुरत नहीं है कि ये जमीन आपकी कैसे है. उन्हें यह भी अवसर दे दिया गया है कि अगर आपका उस जमीन पर कोई रसीद कट रहा है तो उसके आधार पर उस भूखंड पर आपका शांतिपूर्ण कब्जा है तो वो आपका माना जाएगा. सर्वे में आपका ही नाम चढ़ेगा."
दिलीप जायसवाल ने आगे बोला कि जो सर्वे हो रहा है उसमें लोग खुद से वंशावली बनवा रहे थे. इसके बाद वंशावली को एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या पंचायती राज के प्रतिनिधि से अटेस्टेड करवाते थे. इसमें भी उन्हें परेशानी आ रही थी. इसमें हमने अब यह कर दिया है कि आप सेल्फ अटेस्टेड कीजिए. आपको किसी से अटेस्टेड कराने की आवश्यकता नहीं है. इतना ही नहीं वंशागत भूमि पर रैयत के द्वारा आपसी सहमति से बंटवारा हुआ है तो हम लोग को कोई परेशानी नहीं है. मंत्री ने साफ बोला कि सर्वे होने के बाद जमीन विवाद को जो मामला रहता था वो समाप्त हो जाएगा.