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बिहार में जमीन मालिकों के लिए राहत भरी खबर, विभाग ने कर दिया ये बड़ा परिवर्तन


संवाद 

बिहार में पिछले 20 अगस्त 2024 से जमीन सर्वे का कार्य चल रहा है. राजस्व भूमि सुधार विभाग सक्रियता से इस कार्य को करने में जुटी है, लेकिन कई मामलों में जमीन मालिकों को दिक्कत हो रही थी और समय की सीमा भी कम रखी गई थी. इस वजह से जमीन मालिक को प्रखंड कार्यालय से लेकर विभाग तक के चक्कर लगाने पड़ रहे थे. अब बिहार सरकार ने जमीन मालिकों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए भूमि सर्वे के काम में परिवर्तन किया है और समय सीमा को भी बढ़ा दिया है.दरअसल राज्य एवं भूमि सुधार विभाग ने जमीन मालिकों के माध्यम से अपने दस्तावेजों को जमा करने जिसे स्वघोषणा कहा जाता है, उसकी तारीख जो पहले 30 दिन थी उसे बढ़ाकर अब 180 दिन कर दी गई है, जिसकी बीते मंगलवार को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. 

यह संशोधन बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली- 2012 में किया गया है. 

इस नए नियम से अब दस्तावेज जमा करने की तारीख से 180 दिनों तक या किस्तवार का काम खत्म किए जाने के पहले तक, जमीन मालिकों के माध्यम से दस्तावेज को जमा किया जा सकेगा. पहले 20 अगस्त, 2024 तक बिहार के सभी जिलों में ऐलान किया गया था, लेकिन अब नए नियम के अनुसार 31 मार्च, 2025 तक अपने जमीन संबंधी कागजात जमा करने की छूट दे दी गई है.राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि आम लोगों की सुविधा के लिए विभाग ने कई और महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिन्हें कैबिनेट में मंजूरी मिल गई है. इसमे गांवों का मानचित्र बनाने का काम था, जिसकी समय सीमा 30 दिन की थी लेकिन कई गांव में समय पर कार्य नहीं हुआ है. इसको देखते हुए अब उसका भी समय 30 दिन के बजाय 90 दिन कर दिया गया है, अगर कोई मौजा ज्यादा बड़ा है और उसमें और ज्यादा समय लग रहे हैं तो उसके लिए फैैसला लेने का अधिकार बंदोबस्त पदाधिकारियों को दिया गया है.  पहले दावा/आपत्ति की भी समय सीमा कम थी. इसके लिए अब पहले से निर्धारित 15 दिन के बजाय 30 दिन कर दिया गया है. जमीन मालिक खानापुरी पर्चा मिलने के बाद अपनी जमीन से संबंधित ब्यौरा से असंतुष्ट होने पर नए समय तक प्रपत्र-8 में सर्वे शिविर में आपत्ति दर्ज कर सकते हैं. साथ ही यह भी तय किया गया है कि जमीन नक्शा अंतिम प्रकाशन की ताारीख से 90 दिनों के अंंदर कोई भी रैयत प्रपत्र-21 में अधिकारियों के समक्ष आपत्ति दायर कर सकेगा. 90 दिनों की समयावधि बीतने के बावजूद विलंब शुल्क देकर एक बार और सुनवाई करने का फैसला लिया गया है.राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डाॅ दिलीप कुमार जायसवाल ने बोोला है कि भू-अभिलेखों की अनुपलब्धता की वजह से आम लोग परेशान हो रहे थे .उनके मााध्य से दस्तावेज जमा करने की तारीीख बढ़ाने का अनुरोध किया जा रहा था, जिसके मद्देनजर यह फैसला लिया गया है. आशा है कि इस अवधि के क्रम में अपने कागजात ठीक कर लेंगे और भूमि सर्वे में बढ़-चढ़कर भाग लेंगे.भूमि सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त में स्वघोषणा के माध्यम से अपनी जमीन का ब्यौरा सर्वे कर्मियों के समक्ष उपलब्ध कराता है. इसमें रैयत के माध्यम से खरीदी गई जमीन, खतियान, वंशावली एवं बंटवारा का विवरण प्रपत्र- 2 एवं प्रपत्र 3(1) में भरकर या तो सर्वे शिविर में जमा किया जाता है या फिर भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है. इन कागजातों से खानापुरी के समय अधिकार अभिलेख बनाने में सर्वे कर्मियों को सहायता मिलती है.

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