जमू-कश्मीर के राजौरी में देश की सुरक्षा में तैनात गोपालगंज के भोरे के रहने वाले जवान मनीष तिवारी शहीद हो गए. शहीद मनीष तिवारी ने अपनी पत्नी श्रेया देवी से रविवार की रात लगभग नौ बजे बात की थी. बच्चों से लेकर परिजनों तक का हाल-चाल जाना था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह उनकी आखिरी बार बात हो रही है. अगले दिन सोमवार (16 दिसंबर) की शाम घर वालों तक शहीद होने की सूचना पहुंच गई. इसके बाद मातम पसर गया.खबर आने के बाद पत्नी श्रेया अपने दोनों बच्चों को संभाल नहीं पा रही थीं. परिवार में चीख-पुकार मच गई. मां ललीता देवी के आंसू नहीं रुक रहे थे. परिजनों को संभालने के लिए लोगों की भीड़ जुट गई.ग्रामीणों ने बताया कि मनीष कुमार तिवारी करीब 13 साल पूर्व सेना के एयर डिफेंस यूनिट में तैनात हुए थे. अभी पांच महीने पहले ही ग्वालियर से जम्मू कश्मीर के राजौरी में पोस्टिंग हुई थी. इंटर की पढ़ाई करने के बाद 21 साल की उम्र में ही सेना ज्वाइन कर युवाओं के लिए मनीष प्रेरणा बन गए थे. 2007-08 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. पंचायत के मुखिया विजय तिवारी ने बताया कि मनीष ने देश की सुरक्षा के लिए कुर्बानी दी है. इससे पूरे गांव को गर्व है. आज हर व्यक्ति की आंखों में आंसू है.
गम और गर्व के बीच ग्रामीण अंतिम दर्शन के लिए इंतजार कर रहे हैं.
गांव के लोगों को मनीष पर नाज है. सुसराल (यूपी के देवरिया जिले के लाहिलपार में) में मनीष कुमार तिवारी के शहीद होने की खबर पहुंची तो वहां भी लोग शोक में डूब गए. मनीष का एक बेटा वैभव आठ वर्ष का तो छोटा बेटा शौर्य चार वर्ष का है.जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकवादी आक्रमण में शहीद हुए भोरे के लाल मनीष कुमार तिवारी के पिता मार्कण्डेय तिवारी भी सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. सेवा के दौरान वे भी एयर डिफेंस यूनिट में ही तैनात थे. फिलहाल सेवानिवृत्ति के बाद अपने गांव तिवारी चफवा में रह कर खेती-बारी का काम देखते हैं. बेटे के शहीद होने की खबर जैसे ही मिली वे सन्न रह गए. आंखों में आंसू भर आए पर सिर गर्व से ऊंचा था. उनका लाडला आज देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर चुका था.