नोएडा में किसानों के प्रदर्शन के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की बड़ी टिप्पणी सामने आई है. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय कृषि मंत्री की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक-एक पल आपका भारी है.
मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइए कि किसानों से क्या वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया? अगर वादा नहीं निभाया गया है तो उसे पूरा करने के लिए हम क्या कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि अगर किसानों को उचित मुल्य दे दिया जाएगा तो कोई पहाड़ तो नहीं टूट जाएगा. किसान अकेला है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले साल भी किसानों का आंदोलन हुआ था, इस साल भी आंदोलन है. कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं. पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है. पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमरा सपना नहीं, लक्ष्य है. दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था. जब ऐसा हो रहा है तो फिर मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है.
*उपराष्ट्रपति के बयान पर कांग्रेस ने भी दी प्रतिक्रिया*
उपराष्ट्रपति के इस बयान के बाद कांग्रेस ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि चेयरमैन सर कांग्रेस पार्टी भी लगातार यही सवाल पूछ रही है. उन्होंने पूछा कि आखिर एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी कब हकीकत का रूप लेगी? एमएसपी तय करिे के लिए स्वामीनाथन फार्मूला कब लागू होगा? जिस तरह से पूंजीपतियों को कर्ज से राहत दी गई है उसी तरह से किसानों को कब लाभ मिलेगा?
*160 से अधिक किसान गिरफ्तार*
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसान अपनी कई मांगों को लेकर नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर धरना दे रहे हैं. मंगलवार को 160 से अधिक किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उसमें कई किसान नेता हैं. किसानों का कहना है कि वो गिरफ्तारी से डरने वाले नहीं है.
*किसानों की गिरफ्तारी का संयुक्त किसान मोर्चा ने किया विरोध*
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने मंगलवार को नोएडा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर किसानों की गिरफ्तारी के लिए यूपी सरकार की निंदा की. मोर्चा ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि पुलिस ने 9 से अधिक महिलाओं सहित सैकड़ों किसानों को गिरफ्तार किया है. इसके साथ-साथ उन्हें प्रदर्शन स्थल से जबरन हटा दिया है. पुलिस की ओर से ऐसा करना शांतिपूर्ण विरोध के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है. हम न्यायपालिका से हस्तक्षेप करने और मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह करते हैं.