वन नेशन, वन इलेक्शन पर बिहार सरकार में मंत्री विजय कुमार चौधरी की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने बोला कि अभी प्रक्रिया चल रही है, अगर लागू हो जाए तो बढ़िया है. वहीं वन नेशन, वन इलेक्शन पर विपक्ष की आलोचना पर मंत्री ने बोला कि उनको तो सबमें कुछ न कुछ नजर आता है. वन नेशन, वन इलेक्शन अगर हो गया तो इसमें बुरा क्या है. इसमें क्या तानाशाही है.वन नेशन, वन इलेक्शन पर जेडीयू सांसद संजय कुमार झा का भी वर्णन सामने आया है. आजादी के बाद से 1965 तक तो वन नेशन, वन इलेक्शन चला है. 1967 से कौन लोग संविधान को रौंद रहे थे, कौन लोग राष्ट्रपति शासन लगा रहे थे, कैसे सरकार गिराई जाती थी. कैसे अलग-अलग इंस्टीट्यूशन को समाप्त करने की कोशिश की गई, ये सब बातें डिबेट में होनी चाहिए.वन नेशन, वन इलेक्शन पर विपक्ष के विरोध को लेकर सांसद ने बोला कि पहले भी तो एक बार चुनाव होता था, जब आजादी मिली तब भी वन नेशन, वन इलेक्शन था.
गड़बड़ी तब हुई जब कांग्रेस ने प्रदेशों में राष्ट्रपति शासन लगाना शुरू किया.
हर देश में हर छह माह में कोई न कोई इलेक्शन होता है तो विकास के कार्य रूक जाते हैं, सब लोग चुनावी मोड में ही रहते हैं. वन नेशन, वन इलेक्शन लागू होने से विकास कार्य नहीं रुकेंगे और हमारी पार्टी पूरी तरह से इसका समर्थन करती है.वन नेशन वन, इलेक्शन पर विपक्ष के विरोध पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बोला, "तुम पियो तो पुण्य, मैं पियू तो पाप. 1967 तक देश में वन नेशन, वन इलेक्शन लागू था. उस वक्त कांग्रेस की सरकार थी. बार-बार चुनाव से विकास कामो पर असर पड़ता है. अब देश को आवश्यकता है कि जल्दी से जल्दी विकास हो और खर्चा भी कम लगे."